4 जून 2018 का आउटलुक हिंदी का अंक मिला। पत्रिका में तमाम लेखों के बीच बशीर बद्र के बारे में लेख दिल को छू गया। अब वैसे फनकार क्यू नहीं मिलते। आरुषि बेदी का एड्स पर विस्तृत लेख , समकालीन समय में एड्स पीड़ितों की यथास्थिति को बयाँ करता है। देश में एड्स पीड़ितों की मार्मिक हालत जानकर गहरा दुःख हुआ। देश की तमाम प्रगति , चमक के बीच उन मरीजों की ऐसी दशा एक दाग सरीखा है। ऐसे में समाज के बीच से तमाम लोगों को निकल कर आगे आना ही होगा ताकि भारत में एड्स पीड़ितों की हालत में सुधार हो सके।
आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
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