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बुधवार, 9 मार्च 2016

chintak ji and an ips' mother

चिंतक जी और एक  IPS की माँ

भागीदारी भवन, लखनऊ  की बात है चिंतक जी घर गये थे लौट कर आये तो बहुत मुदित थे उनकी खुशी राज मुझे कुछ रोज बाद पता चला जब चिंतक जी ने मुझे hostel की तीसरी मजिल पर छत पर शाम के समय बताया कि अब वो एक ips के  direct tuch में रहने वाले है . . उनकी बातो से पता चला कि लौटते समय चितंक जी को ट्रेन में एक महिला मिली थी उस महिला ने जब चितंक जी पूछा क्या करते हो तो चितंक जी बताया “ मै ias की तैयारी कर रहा हूँ ... “ उस महिला ने खुश होते कहा मेरा बेटा भी काफी लम्बी तैयारी के बाद अभी जल्द ही ips बना है इस समय ट्रेनिंग पर है ..” चिंतक जी यह सुनकर बहुत खुश हुए और उनसे , उनके बेटे का नंबर ले लिया .

चितंक जी के पास उन दिनों मोबाइल तो था नही सो उस नंबर को कागज पर बहुत सहेज कर रखे थे . मुझसे बोले अगर तुम चाहो तो यह नंबर दे सकता हूँ पर वो ips किसी से  ज्यादा बात नही करते . मैंने मना कर दिया कि मेरी हिम्मत नही है और मेरे को इसमें कुछ फ़ायदा ही नही दिख रहा है ..

चिंतक जी उन व्यक्तियों में है जो रणनीति बना कर काम करते है .. सफल लोगो के से बात करना ..उनकी एक रणनीति का एक हिस्सा है .. उन दिनों तो ias और ips में चयनित लोगो से मिल पाना और बात कर पाना बेहद कठिन था और फेसबुक का भी ज्यादा चलन नही था .
एक शाम , किसी से मोबाइल मांग कर चितंक जी उस ips को फ़ोन लगाया .. चिंतक जी से उस ips ने बहुत सीमित बात करके यह कहा कि वह बहुत व्यस्त है और फ़ोन काट दिया . चिंतक जी इससे दुखी नही हुए उनको पता था कि ips ऐसे ही होते है रिज़र्व nature के .


chintak ji  &  AN IPS'S  MOTHER  BY IAS KI PREPARATION HINDI ME

मैंने कई बार लिखा कि जिन्दगी में बहुत से अजीबोगरीब चमत्कार होते है . बमुशिकल २० बीते होंगे एक सुबह चितंक जी अख़बार लेकर मेरे पास भागते हुए आये .. एक खबर को दिखाते हुए पढने को बोला ..
खबर यह थी कि हजरतगंज , लखनऊ थाने में एक फर्जी ips को पकड़ा गया . वो ips तब पकड़ा गया जब वह थाने पर अपना रोब दिखाते हुए बोला कि मै ips हु मुझे   चलकर shopping करवाओ  .....पता चला वो फर्जी ips ने इंटरव्यू तो दिया था पर उसमे फ़ैल हो गया था पर उसने अपने घर में भी नही बताया और यही बोला कि वो ips बन गया है .. उसका यह नाटक ७ या ८ महीने से चल रहा था ..
कहने कि जरूरत नही यह खबर उसी ips की थी जिससे चिंतक जी बात की थी . दुख की बात यह थी वो बेचारी माँ भी , अपने लडके की करतूतों से अनजान थी .
पिछले दिनों भी एक खबर फर्जी ias की निकली थी जिसमे कोई लडकी मसूरी में काफी दिनों तक फर्जी आधार पर ट्रेनिंग भी कर डाली थी .

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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

Learn like this ......

चिंतक जी और ज्ञानी गुरु

क्या आप सोच सकते है कि चिंतक जी जो खुद अहम ब्रह्म हो किसी के , हमउम्र के पैर छु सकते है ......वैसे भारतीय संस्कृति में पैर छूना आदर की बात होती है ..पर इस घटना में पैर छुवाना ,,एक प्रकार से उन्हें नतमस्तक करना था ... यानि इस कहानी में आप देखगे कि बात कि बात में चिंतक जी को किसी के पैर छूने पड़ गये ..
चिंतक जी के बारे में आप काफी कुछ पढ़ चुके है पर अभी तक आपको  ज्ञानी गुरु के बारे में कुछ भी नही बताया है ......दरअसल कई किरदार है एक दुसरे से जुड़े और जीवंत भी .ज्ञानी गुरु के चरित्र को किसी रोज फिर विश्लेषित करेगे आज सीधे कहानी पर आते है ......
CHINTAK JI  AUR  GYANI GURU BY  IAS KI PREPARATION HINDI ME

चिंतक जी का वो पुराना रूम याद है न जो किसी ज़माने में पुरानी  रेलवे कालोनी का था ..उसी रूम की बात है ज्ञानी गुरु भी मेरे भागीदारी भवन , लखनऊ से ही परिचित थे .. वही पर चिंतक जी मुलाकात हुई थी तो जब भी मेरा इलाहाबाद जाना होता ज्ञानी गुरु भी मिलने आ जाते थे ( ज्ञानी गुरु से मेरी ४ सालो से बातचीत बंद है आज लिखते वक्त उनकी बड़ी याद आ रही है ...लगता है मुझे ही पहल करके उन्हें फ़ोन करना होगा ..)
पता नही कैसे हुआ पर मेरे सामने ही जोरदार  बहस शुरू हो गयी . वैसे इलाहाबाद में इस तरह की बहस होना बड़ी स्वाभाविक बात है ..
ज्ञानी गुरु और चिंतक जी इतिहास के एक प्रश्न को लेकर भिड गये प्रश्न यह था कि मुहम्मद तुगलक के राजधानी परिवर्तन का कारण किस ने यह बताया है कि delhi के लोग उसे गाली भरे पत्र लिखते थे ?  बरनी या इब्नबतूता ( अब याद नही यही आप्शन थे या कुछ और ..)
मैंने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि इलाहाबाद में जितना बारीकी से , तथ्य आधारित पढाई कि जाती है उतनी पुरे देश या कहू विश्व में कही नही होती ....इसके पीछे लोक सेवा आयोग की कारस्तानी है .. लगे हाथ बता दू .. uppcs के जैसे सवाल शायद ही कही पूछे जाते हो ..एक नमूना भी देख लो .. एक बार पूछा गया कि गाँधी जी २ गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने जिस जहाज से लन्दन गये थे उसका नाम क्या था ............यही कारण है मेरे जैसे लोग uppcs से हमेशा दूर रहे इस तरह के प्रश्नों से दिमाग का दही हो जाता है ......)
जब चितंक जी और ज्ञानी गुरु में बहस हुई तो मेरे लिए प्रश्न ही नया था पर बहस थी कि गर्म होती जा रही थी कोई हार मानने को तैयार नही था ऐसा लग रहा था मेरे जैसे नैसिखिये के सामने कोई हार कैसे मन सकता है ..
बात इतनी बढ़ गयी कि शर्त लगने लगी तय यह हुआ कि जो हारेगा वो दुसरे के पैर छुवेगा ( मतलब यह कि शिष्यत्व स्वीकार करेगा ) 
ज्ञानी गुरु अपने आंसर के प्रति इतना sure थे कि बोले अमुक बुक का फला पेज खोलो .. ( आज भी ऐसे लोग है जो पेज सहित जबाब रट जाते है )
किताब का वो पेज खोला गया वहां जबाब न था पर उसके अगले पन्ने पर जो जबाब था उसके अनुसार ज्ञानी गुरु ने चितंक जी को परास्त कर दिया था ..
शर्त के मुताबिक चिंतक जी ने ज्ञानी गुरु के पैर छुवे यह कहते हुए कि ज्ञानी गुरु उम्र में बड़े है तो उनके पैर छूने में क्या शर्म.... तो इस प्रकार अपने दो शूरवीरो की कहानी पढ़ी .. ( ज्ञानी गुरु बाद में अपने रटने की विशेष क्षमता के चलते आयोग द्वारा  उप समीक्षा अधिकारी पर चुन लिए गये )

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सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

वो गुमनाम लेखिका

अक्सर मै आहा जिन्दगी का जिक्र करता रहता हु पिछले दिनों सैनी अशेष के लेख पढ़े और बहुत प्रभावित हुआ। सोचा इनसे बात करनी ही चाहिए। दिमाग में विचार था कि सम्पादक को फ़ोन कर उनसे नंबर ले लूँगा।  
पता नही क्यू पर मुझसे रहा न गया और मैंने उनको गूगल से खोजना शुरु किया। कुछ ब्लॉग पर उनके कमेंट मिले , फेसबुक पर id भी मिल गयी। id मिलने पर उनकी टाइम लाइन को पढना शुरु किया।  यह एक प्रकार से खोज सी शुरु थी अधिक से अधिक जान लेने का मन था। आखिर उनके लेखो में जो जादू दिखा था वह सच में ही बहुत लाजबाब था।  
टाइम लाइन से ही पता चला कि वो स्नोवा बर्नो के सह - लेखक है। स्नोवा बर्नो -------२००८ के आस पास उनकी कुछ कहानिया हंस में छपी थी। एक - दो मैंने भी पढ़ी थी क्या कमाल की कहानियाँ थी।  बहुत दिनों तक लेखिका के बारे में लोग कयास लगाते रहे कि आखिर एक अंग्रेज इतनी गहरी हिंदी में कहानी कैसे लिख सकती है।  ऐसा माना जाता रहा कि उनका छद्म नाम इस्तमाल कर कोई पुरुष ही यह कहानियाँ लिख रहा है. 

ABOUT CHINTAK JI

     चिन्तक जी के बारे में बहुत से लोगो ने पूछा है पर एक पाठक को वह कहानी इतनी भायी कि मुझे ३ – ४ मेल लिखे . मैंने उन्हें हमेशा जबाब दिया कि समय मिलते है पोस्ट करूगां . पास लिखने के लिए बहुत से विचार होते है पर समय के आभाव में उन्हें लिख नही पाता हूँ . वैसे भी लिखने के लिए फ्री mind होना चाहिए जो आज के दौर में बहुत कम होता है
 .    ABOUT  CHINTK  JI  BY  IAS KI PREPARATION HINDI ME
ज्यादातर लोगो को यह जानने कि उत्सुकता रही है कि चिन्तक जी इन दिनों क्या कर रहे है तो समय आ गया है जब आप को जानकारी दे दू चिन्तक जी ने दिसम्बर १५ में uppcs lower का इंटरव्यू दिया है . पहली बार इंटरव्यू दिया है और उम्मीद की जानी चाहिए उनका सिलेक्शन हो जायेगा .
चितंक जी के तेवर अभी भी वैसे है जैसे पुराने दिनों में हुआ करते थे अब मेरी उनसे बातचीत बहुत कम ही हो पाती है महीने या २ महीने में एक बार पर जब भी बात होती है मुझे ख़ुशी होती है कि अभी भी उनमे बहुत कुछ बाकि है २००६ में पहली बार में आईएएस का pre निकालने के बाद , काफी कोशिस के बाद भी उनका कभी pre नही निकला .

२०१५ में जब ias का पैटर्न फिर से बदला उन्होंने पुरे जोर शोर से , दम लगा कर एग्जाम दिया . एग्जाम के बाद मेरी उनसे फ़ोन पर बात हुई पता चला उनका स्कोर मात्र ८० अंक है यानि इस बार भी उनका होना नही था .. इस बार भी वो ias का मैन्स देने से वंचित रह गये ...अच्छा स्कोर ने कर पाने के कारण भी बताये थे जो मुझे अब याद नही ... वैसे भी आपको पहले की कहानियों से चिन्तक जी के बारे में एक बात बहुत अच्छे से समझ में आ गयी होगी वह बहुत गंभीरता से सोचते और समझते है ..

वो ias के एग्जाम से भले दूर रहे हो पर हमेशा २०१३ में भी मुझसे ias मैन्स के पेपर मागे थे ताकि समझ ले कैसे प्रश्न पूछे जा रहे है इलाहाबाद में उनके परिचितों में दूर दूर तक कोई मैन्स लिखने वाला नही था .. मैंने भी समय निकल कर पेपर्स की कॉपी करवा कर पोस्ट कर दी थी हलाकि यह बहुत झंझट का काम लगा था ..

२०१४ में भी मैन्स के पेपर मागते रहे जब भी बात होती थी वह यह डिमांड करना नही भूलते थे पूरे  साल मै टालता रहा वजह साफ थी मुझे ऐसा लग रहा था कि जब मैन्स लिखना ही नही है तो मैन्स के पेपर के विश्लेष्ण करके  क्या करोगे ... पर उनसे सीधे सीधे कैसे कहूँ कि अब ias  का पैटर्न  बिलकुल बदल गया है .. अब इसमें COMPETITION  भी बहुत बढ़ गया है .

अभी जनवरी में फिर उनसे बात हुई तो बोले होली जब घर आना तो २०१४ और २०१५ के मैन्स के पेपर लाना मत भूलना ... मतलब अभी भी वो ias को छोड़ेगे नही .....मेरे ख्याल से अभी भी उनके २ या ३ चांस बचे है .....देखो क्या होता है ......( अगर कोई पाठक इलाहाबाद से हो और चिन्तक जी ias मैन्स के पेपर उपलब्ध करा सके तो प्लीज संपर्क करे क्यूकि चिंतक जी अभी भी सिंपल फ़ोन रखते है और उनका कोई फेसबुक , जीमेल अकाउंट नही है ..मैंने नेट पर देखने कि सलाह दी थी तो उनका कहना था कि हार्ड कॉपी में देखना ज्यादा अच्छा होता है .....उनके तर्को को मै कभी काट नही पाता हूँ ... उनसे जुडी शेष कहनियाँ फिर कभी ........)

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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

Working under government


आज अहा जिंदगी का फरवरी का अंक लाया। यह मैगज़ीन  मैंने  इसके शुरआती दिनों में पढ़ी थी तब भी ज्यादा समझ में नही आयी थी और इन दिनों भी कुछ खास समझ में नही आती है। यह अलग बात है कि    Nishant Jain , Ias Topper 2015 ने जब से इसके बारे में बताया है तब से इसे फिर से लेने लगा हु। 
इस बार के अंक में एक जापानी कहानी का अनुवाद ' सुंदरी ' आया है। काफी दिनों बाद कुछ पढ़ कर मन को अच्छा लगा।  अरसा हो गया साहित्य को शौक की तरह पढ़े।  

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self dependent  तो १६/१७ की उम्र से ही हो गया था। जब  regular job  २१ साल में लगी।  २२ की उम्र में  central government  में कार्य करने लगा था ।  आज एक बात मै आप से share  करना चाहता हु। पहले पहल जब जॉब लगी बड़ी खुशी हुई। पहले से सारे दुःख दर्द सब दूर हो गए।  सोचा अब खूब पैसे मिलेंगे तो मन चाहे brand के कपड़े , जुते ,  mobile  आदि रख सकूंगा। कुछ हद तक यह सच भी था पर कुछ दिनों ही बाद मुझे एक चीज बहुत खलने लगी।  
 student life  में , दिन में २ घंटे सोना एक अनिवार्य सा नियम है , मुझे भी दिन में सोना बहुत अच्छा लगता है।  रात में पढ़ते पढ़ते १ या २ बज ही जाते है सो सभी दिन में सोते है।  जॉब में आने के बाद यह आदत सबसे ज्यादा परेशान  की।  उस दिन से आज तक कभी  free mind  होकर सो न सका। तो यह है सरकारी नौकरी के नकारात्मक पहलू। हलाकि  क्रेन्दीय सेवा में २ दिन यानि  Saturday , Sunday  छुट्टी होती है इसके बाद भी यह सच है कि  नौकरी में आकर  पहले सी आजादी कहाँ  .

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

No age limits for sucess

इस बार की प्रतियोगिता दर्पण फरवरी अंक में डॉ गोबर्धन लाल शर्मा का इंटरव्यू पढ़ा तो एक बहुत प्रेरणादायक बात पता चली । उनका चयन ras में 9 रैंक पर हुआ है ।
उनकी जन्मतिथि है 15/07/1970 यानि लगभग 45 की उम्र में यह सफलता पायी है।

इससे काफी कुछ सीख मिलती है । मैंने अक्सर कुछ लोगो को एक उम्र बाद हताश होते हुए देखा है शादी बाद तो लगभग न के बराबर लोग तैयारी करते है । सोचते है कि अब जो बनना था बन चुके है पर विजेता के लिए उम्र कोई मायने नही रखती ।

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

That day at charbagh railway station

मदद कही से मिल सकती है

वो भागीदारी भवन , Lucknow के दिन थे . बहुत ही तंगहाली मुफलिसी में गुजर रहे थे . hostel  में ज्यादातर लोग इलहाबाद से थे , उनसे बहुत से चीजे सीखी . आपको याद हो मेरी चिन्तक जी से यही मुलाकात हुई थी . इसी जगह पर रह कर मैंने सिखा कि पढाई के लिए कितना त्याग किया जा सकता है .

 Dipawali का Festival  था . कोई इलहाबाद अपने घर नही जा रहा था . मै भी नही जाना चाह रहा था क्यूकि मेरे पास बहुत कम रूपये बचे थे . घर आने जाने में १०० रूपये तक खर्च हो जाने थे . दोपहर तक मै अनिश्चय में था कि घर जाऊ या यही रह कर दिवाली मना लू . शाम होते होते , घर जाने की ललक खूब जागी. मैंने अपना एक बैग लिया और चारबाग रेलवे स्टेशन पहुच गया .

टिकट काउंटर में बहुत लम्बी लम्बी लाइन लगी थी . मै भी एक लाइन में लग गया . मेरे आगे ४०/४५ आदमी रहे होंगे . तभी एक नेपाली जोकि फौजी ड्रेस में था , मेरे पास आकर कुछ कहने लगा .. उसको कोई टिकट कैंसिल करानी थी , जल्दी में था और चाह रहा था कि उसे टिकट खिड़की पर सबसे पहले लग जाने दिया जाय . उसने अपनी मजबूरी बताई कि उसकी वाइफ कही दूसरी जगह वेट कर रही है और उसे जल्दी से जाना है . उसने बोला कि मै लाइन में सबसे से पूछ कर आगे जाना चाहता हूँ ..ताकि उसे कोई गाली न दे ..उसके अनुसार यहाँ के लोग बहुत गन्दी गन्दी गाली देते है ..
मै तो लाइन में बहुत पीछे था मुझे क्या फर्क पड़ता मैंने मुस्कराते कहा भाई जरुर ले लो आपको जल्दी है तो ले लो ... मैंने देखा वो नाटा , गोरा फौजी लाइन में लगे कुछ और लोगो की सहमती लेता हुआ ....आगे तक गया ...
अच्छा ...अगर को कोई लखनऊ या उत्तर प्रदेश को अच्छे से जानता हो तो आसानी से अनुमान लगा सकता कि लाइन पर सबसे आगे आदमी ने ..उस फौजी को क्या जबाब दिया होगा ..

“ घुसो @#%$ के ...लाइन में आओ ..ये कहानी और किसी से पेलना ....” ऐसा ही कुछ जबाब रहा होगा क्यूकि मैंने पीछे से देखा कि आगे माहौल गर्म होने लगा ...  लम्बी लाइन में लगे भले से भले आदमी का मूड भी अल्टर हो जाता है ..

भारत में गाली – गलौच बेहद आम बात है ..आम जन जीवन से लेकर साहित्य ( कासी का असी –कशीनाथ सिंह ) , सिनेमा (  gangs of wasseypur) में यह रची और बसी है .. इनके प्रयोग से प्रयोगकर्ता कुछ विशेष हनक महसूस करता है ..
मुझे हैरानी तब हुई जब वो गोरखा फौजी जो कि गाली न देने की दुहाई दे रहा था.... तैश में आकर गाली देने लगा .. उसकी टिकट कैंसिल नही हो पाई तो वो लाइन में लगे लोगो को अपनी टिकट दिखा कर बोला ... लो इसे बत्ती बना कर अपनी @#$% में डाल लो ..” उसमे अपनी टिकट लपेट कर जमीन में फेक दी और गाली देता हुआ .. वहां से चला गया ..
इस संसार में सबसे जादुई चीज है दिमाग .. ...यह तमाशा तो बहुतो ने देखा पर दिमाग में घंटी मेरे तुरंत बजी ... मुझे टिकट cancellation  के बारे में पूरी तरह से पता नही था फिर भी मैंने जल्दी से वो टिकट उठा ली और लाइन में अपनी बारी की बहुत आराम से प्रतीक्षा की . अपनी बारी आने पर मैंने वो फौजी वाला टिकट .. clerk  को कैंसिल करने को  दिया मुझे लग रहा था कि वो कोई डिटेल या id मागेगा पर उसने बगैर कुछ बोले बताया कि २४० रूपये वापस होंगे ... मैंने उससे अपनी ख़ुशी छुपाते हुए ..एक उन्नाव के लिए टिकट मागी .. उनसे मुझे उन्नाव की टिकट से साथ २२५ रूपये वापस कर दिए ...
मेरी ट्रेन अभी भी कुछ देरी से थी . मै स्टेशन से बाहर आ गया .. मैंने बहुत गहरी सकून भरी साँस ली .. चारबाग के सामने कोने पर एक छोटी सी गुमटी है ...उसके बहुत सी स्वादिष्ट जायकेदार चीजे ..जैसे ब्रेड पकौड़ा , समोसे , छोले  भटूरा ..मिलती है .. . आज याद नही पर उस रोज जो कुछ भी खाया .. बहुत लजीज रहा होगा .

जयपुर में एक दोपहर

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

10 POINTS ABOUT MANREGA HINDI ME

आज से मनरेगा को १० साल पूरे  जायेगे।  परीक्षा की नजर से यह योजना बहुत चर्चित रही है।  लगभग सभी एग्जाम ias  pcs  के pre  , mains  और इंटरव्यू में इससे जुडी बातों  को अक्सर पूछा जाता है।  आज इसके बारे में कुछ पॉइंट्स

  1. संसद से यह एक्ट २३ अगस्त २००५ को पारित हुआ था।  
  2.  यह योजना २ फ़रवरी 2006   को  आंध्र प्रदेश के बंदावली  जिले के अनंतपुर  गावं में सबसे पहले लागू  की गयी थी।  
  3.  jean dreze को इसका नीति निर्माता माना  जाता है।  
  4.  इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा लागु किया जाता है।  
  5. इसमें हर परिवार के एक सदस्य को हर साल 100  दिन का रोजगार देने का प्रावधान है।  
  6.  इसमें महिलाओं  के लिए 33 % आरक्षण का प्रावधान  है 
  7.   15  दिन तक रोजगार मिलने पर , बेरोजगारी भत्ता  दिए जाने का प्रावधान है।  
  8.  2 oct 2009  से इसे mgnrega नाम दिया गया है।  
  9. manrega  के बारे अधिक अधिक जानकारी यहां   से ले सकते है।  
  10.  यह प्रश्न कई बार पूछा गया है जो अक्सर लोगो से गलत हो जाता है - मनरेगा सबके के लिए है या सिर्फ पिछड़े और दलित लोगो के लिए।  उत्तर है सबके लिए जो भी काम करने का इच्छुक हो।  
  11. कार्य की अवधि 07 घंटे और सप्ताह में ६ दिन काम।  
  12.  अब तक 3.13 लाख करोड़ रूपये इस योजना में खर्च किया जा चुके है. 
मनरेगा का  उद्देश्य -

  1.  ग्रामीण रोजगार ताकि शहरों की तरह कम पलायन हो। 
  2. वित्तीय समावेशन। 
  3.  पंचायती राज संस्थाओ की मजबूती।  
मनरेगा की खामियां 

  1.  अवैध जॉब  कार्ड , फर्जी काम के आधार पर धन का घोटाला 
  2. इस योजना में जो भी काम किये गये उनसे कोई आउटपुट न मिल पाना सबसे बड़ी कमी मानी जा सकती है .  

रविवार, 31 जनवरी 2016

an ias motivational story in hindi


डेल्ही का मुखर्जी नगर ......और इलहाबाद .......यह दोनों ही जगह मुझे बहुत प्रिय रही है पर अफ़सोस यहाँ पर कभी लम्बा प्रवास नही रहा बस एक या २ दिन . युवा शक्ति को समझना .. अपनी बारीक़ नजर से देखने के लिए यह सबसे माकूल जगह है ..
सफल – असफल लोगो की कितनी ही कहानियाँ ..कितने ही मिथक .. किस्से इतने रोचक रोचक कि बस आप सुनते ही रहे .

                                        



आज एक भूली – बिसरी कहानी याद आ रही है .. जो किसी ने कही सुनी थी और मुझे सुनाई थी तो इस सुनी सुनाई कहानी की शुरआत होती है डेल्ही के मुखर्जी नगर से ..
कथानायक डेल्ही में रह कर काफी दिनों से तैयारी कर रहे थे कभी pre से बाहर होते तो कभी मैन्स से तो कभी इंटरव्यू से .. काफी हताश हो चुके थे .. तभी उनके जीवन में प्रेम का अंकुर जगा .. उन्हें अपनी नायिका मिल गयी .. तो कथानायक सीनिएर थे और नायिका जूनियर थी .... नायक सारा साल नोट्स , gudience ,, नायिका को उपलब्ध कराते रहे .. और जब अंत में रिजल्ट आया तो आप समझ सकते थे क्या हुआ होगा ... नायिका की रैंक १०० के अंदर थी .. आईएएस बन गयी थी .और कथानायक COMPULSORY  इंग्लिश में फ़ैल हो गये थे ( सबसे से निराशाजनक समय )
इसी दौरान नायक ने किसी मित्र के रूम में रोते हुए अपनी दुःख भरी कहानी शेयर की थी संयोगवश उस रूम में वो साथी भी मौजूद थे जिहोने ने यह कथा हमे सुनाई थी ..
कहानी का यह हिस्सा काफी मार्मिक है .. नायक जब नायिका को बधाई देने गये तो उसने बहुत बेरुखी दिखाई इतना अपमान किया कि वो बेचारे उसी शाम अपने घर कि टिकट कटा कर हमेशा के लिए डेल्ही छोड़ने का मन बना लिया . अपनी बोरिया बिस्तर ले कर स्टेशन भी पहुच गये . ट्रेन में भी बैठ गये तब उनके मन में एक विचार आया इस तरह से वो हार कर , अपमानित हो कर लौट नही सकते ... वो ट्रेन से उतर आये ( निश्चित ही उनके मन में उस समय फैसल खान जैसे विचार रहे होंगे – बाप का,, दादा का ,,, सबका बदला लेगा तेरा फैसल ..)
आगे की कहानी किसी हीरो सी रही ....... उनकी रैंक पता कितनी थी ......अंडर -१० ............ तो इस तरह से उनके दिन बदले ......यह पता नही कि उनकी नायिका ने इस पर क्या टिप्पड़ी थी या फिर नायक ने उसे माफ़ किया या नही .........पर यह कहानी .. मुखर्जी नगर में हजारों के लिए अम्रत सरीखी थी .. और कहानी परम्परागत तरीके से साल दर साल चलती चली आ रही है 



fort william college/ फोर्ट विलियम कॉलेज
भारतेंदु युग की 'नए चाल की हिंदी'
सरस्वती पत्रिका
CALL TO ACTION
BHARTENDU MANDAL / भारतेंदु मंडल
SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )
MISSION EKLAVYA
IAS MAINS 2015
Maila Anchal : by renu
ADOLESCENCE / किशोरावस्था
Nolan Committee in Hindi
Good Governance in India
  

सोमवार, 25 जनवरी 2016

love at present time

प्रेम और रेवड़ी :कौन सस्ता ,कौन महँगा  ???

विषय थोड़ा सा अमर्यादित लग सकता है आपको ,मैं पूरी कोशिश करुँगी इसे मर्यादित तरीके से लिखने की। फिर भी अगर कलम कहीं फिसल जाये तो आप सब से मुआफ़ी चाहती हूँ। घबराइये नहीं ;मैं आपको कचरा नहीं परोसने जा रही हूँ।  आपकी मानसिक तंदुरुस्ती का ख़्याल रखना मेरी जरूरत भी है और जिम्मेदारी भी। 
    प्रेम के सन्दर्भ में दो बातें अक्सर मेरे दिमाग में कौंधती हैं -एक तो यह कि भारत जैसे देश में जहाँ प्रेम के प्रतीक स्वरूप राधा -कृष्ण को वर्षों से पूजा जाता रहा है ;वहाँ प्रेम को इतना अनैतिक क्यों समझा जाता है। किसी और को क्या कहूँ मैं ख़ुद इस विषय में कुछ भी कहने या सुनने से कतराती हूँ। ऐसा लगता है कि जैसे आत्मा अपवित्र हो रही हो। और जो दूसरी बात है वह यह है कि हमारे यहाँ लोगों को दाल -सब्जी मयस्सर हो न हो ;प्रेम हर किसी को प्राप्त है। यहाँ हर आदमी के पास अपनी प्रेम कहानी है और वह भी एक -दो नहीं ;दर्जनों की संख्या में। हास्यास्पद लगता है ;सोचती हूँ कभी-कभी कि  क्या प्रेम रेवड़ी से भी ज्यादा सस्ता हो गया है। 
   मेरे घर के पास में ही वीरबहादुर सिंह नक्षत्रशाला है और उसी से लगा भीमराव अम्बेडकर पार्क भी है। काफी खुली जगह है यह। लगभग हर शाम मैं यहाँ जाती हूँ।मेरे थोड़े -बहुत सामाजिक ज्ञान के लिये शाम के वक्त की यह सैर ही जिम्मेदार है ;क्योंकि बाहर की बौरायी हुयी हवाएँ हमारे घर की चहारदिवारी को लाँघ नहीं पातीं। हर रोज़ कुछ हैरत भरा देखने -सुनने को मिलता है और मैं अवाक् रह जाती हूँ। लेकिन अब बुरा नहीं लगता ;शायद आदी हो गयी हूँ। 
   ऐसे ही एकदिन का वाक़या है -पार्क में टहलते वक्त मैंने देखा एक जगह ५-७ युवा लड़के  बड़ी एकाग्रता पूर्वक कुछ सुन रहे थे। थोड़ा नजदीक  जाने पर ज्ञात हुआ कि ,उनमें से एक अपनी तथाकथित प्रेमिका से बातें कर रहा था और बाकी के उन बातों के मजे ले रहे थे। मैंने मन ही मन सोचा बेचारी भोली -भाली लड़की को उल्लू बना रहे हैं। कुछ दिनों बाद  एक और घटना देखने को मिली ;फर्क मात्र इतना था कि अबकी बार उन लड़कों की जगह कुछ चमकती सूरत लिये बेहद नाजुक दिखने वाली लड़कियां थीं। शायद ये सब कुछ बेहद आम है और अंडरस्टुड भी। अगर मुझे घुटन हो रही है तो दोष मेरा है। 
   ये टाइम पास के नये तरीके हैं ;जिन्हें हमारी आजकल की मॉडर्न और एक्स्ट्रा जीनियस जनरेशन प्यार  का नाम देती है। यह प्रेम सचमुच बेहद सस्ता है और सर्वसुलभ भी ;परन्तु उतना ही घटिया और सर्वथा हेय। मेरी समझ से प्रेम अत्यंत दुर्लभ है। वह यूँ  गली ,नुक्कड़ ,चौराहे पर भटकता हुआ न मिलेगा। भटकता हुआ इस तरह का प्रेम महज़ गुमराह कर सकता है। प्रेम की अनुभूति की जा सकती है परन्तु अभिव्यक्ति नहीं। अभिव्यक्ति के बाद प्रेम ,प्रेम न रह कर कलंक बन जाता है और सर्वथा दुखदायी ही होता है। कहते हैं जिस विषय की उचित मालूमात न  हो उस विषय पर जुबान नहीं खोलनी चाहिए। अतः अब मुझे तरीकन मौन हो जाना चाहिए। 
   चैतन्य रहिये ..... खुश रहिये

द्वारा :- एक प्रबुद्ध पाठिका ( s.d.g.) 



द्वारा :- एक प्रबुद्ध पाठिका ( s.d.g.) उनकी रिक्वेस्ट पर उनका नाम गोपनीय रखा गया है . 

( यदि आपके पास भी कोई अच्छा सा लेख हो तो उसे मुझे मेल ashunao@gmail.com  पर भेज सकते है . ) 



गुरुवार, 21 जनवरी 2016

50 Important Topics for Geography in Hindi

पिछले दिनों किसी ने इस बारे में रिक्वेस्ट की थी।  आज मैंने कुछ टॉपिक्स जुटाने की कोशिस की है।  भूगोल बहुत बड़ा विषय है। इसमें बहुत से टॉपिक कवर होते है।  मैंने भारत तथा विश्व दोनों के topic को ही एक साथ लिखा है। इसमें uppcs , mppcs, ras, अन्य राज्यों में पूछे जाने वाले pre के प्रश्नों के साथ कुछ टॉपिक आईएएस के स्तर के है।
Most Important topic for ias ( Economy )


आईएएस तथा pcs की परीक्षा में मुख्य अंतर उनके स्तर को लेकर है।  राज्य की परीक्षायो में हमेशा one liner question पूछे जाते है तो दूसरी ओर आईएएस में हमेशा कांसेप्ट और बहुत गहन प्रश्न पूछे जाते है।  

  1.  पर्वत 
  2. घाटियाँ 
  3. महादिपीय सिधांत
  4. अल नीनो 
  5. ला नीनो
  6. पश्चिमी विक्षोभ 
  7. वन्य जीव अभ्यारण्य 
  8. मिट्टियो के प्रकार 
  9. मानसून 
  10. चक्रवात 
  11. प्रति चक्रवात 
  12. बांध 
  13. नहर 
  14. हरित क्रांति 
  15. फसलों के प्रकार 
  16. नगदी फसले 
  17. बागानी फसले 
  18. झुमिंग क्रषि 
  19. क्रषि के प्रकार 
  20. पशुपालन 
  21. सौर उर्जा 
  22. climate change
  23. global warming
  24. ज्वालामुखी 
  25. भूकंप 
  26. सुनामी 
  27. आपदा प्रबंधन 
  28. हरित गलियारा 
  29. ब्लैक होल 
  30. सौर मंडल 
  31. कर्क , मकर , विषुवत रेखा 
  32. महासागरीय धराये 
  33. प्रवाल भित्ति 
  34. मंग्रोव वन 
  35. वनों के प्रकार & उनमे पाए जाने वाले पेड़ 
  36. जनजातियाँ 
  37. बंदरगाह 
  38. सागरमाला 
  39. golden triangle
  40. sez
  41. EEZ
  42. BIG BANG THEORY 
  43. गॉड पार्टिकल 
  44. राजधानियां 
  45. नदियों पर बसे शहर ( pcs ) 
  46. देशो के पुराने नाम ( pcs)
  47. हिमनद 
  48. हिमानी 
  49. डेल्टा 
  50. ज्वारनद मुख 
  51. लैगून झील 
  52. जैविक खेती 
  53. ड्रिप सिचाई 
  54. ZERO TILLAGE 
  55.  सतत विकास 
  56. प्रदुषण ( जल , वायु , ध्वनि ) 
  57. नदियाँ 
  58.  BLUE ECONOMY
  59. समुद्री संसाधन 
  60. जलसन्धियाँ                                          

नोट :  वैसे तो सभी टॉपिक आपके परिचित ही होंगे अगर कोई टॉपिक आपको न मिले तो उसे कॉपी कर गूगल में सर्च करिये .. जरूरी जानकारी मिल जाएगी . भूगोल से जुडी जरूरी किताबे पर  पोस्ट फिर  किसी दिन ...

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

About top motivational books in hindi

Motivational books


पिछले दिनों किसी ने फेसबुक पेज पर motivational books  के बारे में पूछा था . आज उस बारे में बाते करते है . शुरुआत अपने से करता हूँ ..
पढ़ने का शौक बचपन से ही बहुत ज्यादा था . गावं में गिने चुने घरो में अख़बार आता था . मै दो – तीन घरो , चक्की पर जा कर अलग अलग न्यूज़ पेपर पढ़ा करता था . दैनिक जागरण , हिंदुस्तान , अमर उजाला और आज यह पेपर सबसे ज्यादा कमन है . आप याद हो .. दैनिक जागरण में पहले “ जोश “ नाम से ४ पेज अलग से आते थे बाद में यह मगज़ीन में आने लगा .

इसी जोश में पहले पहल मैंने जोगिन्दर सिंह (  ex director  cbi ) के लेख पढ़े थे . बहुत ज्यादा अच्छे लगे . उनको पढ़ कर मन में बहुत उत्साह आता था . उन से मैंने बहुत कुछ सिखा . मैंने उनके बहुत से लेख इकठा किये थे और खाली समय में उनको पढ़ता और भविष्य के सुनहरे सपने देखा करता .

shiv khera की “ जीत आपकी ( you can win )  “ तो बहुत ही लोक प्रिय बुक है . १७ या १८ की उम्र में पढ़ने को मिली उन दिनों इसे पढने में बहुत मजा आता था ..पर पिछले दिनों फिर से उसे पढ़ने कि कोशिस की तो बहुत बोरिंग लगी .. खत्म नही कर पाया ... शायद अब मेरे मन को कुछ अलग तरह की बुक की जरूरत है ..


अभी तक के अपने जीवन में मैंने सबसे magical book ..लखनऊ के भागीदारी भवन के लाइब्रेरी में पाई .. यह किताब थी alchemist by paulo coelho ( हिंदी अनुवाद पढ़ा )  वैसे तो किताब novel की शक्ल में है पर इसमें जगह जगह बहुत ही गजब की लाइन्स लिखी है ..यह मुझे उन दिनों इतनी भाई कि इसकी सभी जरूरी lines अपनी diary में उतर ली .. फिर एक रोज दिल्ली जाना हुआ तो इसे खरीद भी ली . आप में  बहुत से लोगो ने इसे पढ़ा होगा कृपया अपनी राय देना मत भूलना ... एक interesting बात आप को बताऊ हिंदी की फ़िल्म ओम शांति ओम का famous लाइन आपको जरुर याद होगी  “ जब आपको किसी  को पुरे दिल से चाहते है तो सारी कायनात उससे मिलाने का  षड्यंत्र रचती है “ दरअसल यह अलकेमिस्ट की लाइन है जिसे फ़िल्म में तोड़ मरोड़ कर डाल दिया गया ... अब आप इसे प्यार से जोड़ कर देखते रहे ..अब इसे नये सिरे से देखे – आप जो कुछ भी चाहते है ( केवल प्रेमी ही नही ) अगर उसके लिए सच्चे दिल से प्रयास करते है तो सारी कायनात उसे मिलाने के लिए पूरा प्रयास करती है . मै तो कहुगा आप इस बुक को जरुर पढ़े और जल्द से जल्द पढ़े .. आपकी नई उर्जा , सोच मिलेगी .

विजय अग्रवाल ( ias ) के भी मैंने काफी लेख पढ़े है .. और उनकी पुस्तके भी मैंने कई लोगो को recommend  भी की है हलाकि मैंने उनकी अभी तक कोई पुस्तक नही पढ़ी है पर मुझे यकीन है कि उनकी सभी बुक आपको पसंद आयेगी .
मैंने अभी आपको बताया न कि मैंने अलकेमिस्ट  से खरीदी थी ... दरअसल मैंने डेल्ही में दरियागंज का नाम बहुत सुना था ... अजीब विडम्बना है ..जब पुस्तके पढने का चाव बहुत था तब उन्हें खरीदने के पैसे नही होते थे और जब पैसे आये तो पुस्तके तो खरीदी पर पढने का टाइम न रहा .. धीरे धीरे पुस्तके जमा होती गयी पर उन्हें खत्म नही कर पाया .


खैर एक रोज मै पूछते-२ दरियागंज पहुच ही गया .. बहुत तंग जगह थी .. एक छोटी सी दुकान पर जोकि सकरे जीने से चढ़ कर उपर जाने पर थी मैंने कुछ नावेल खरीदे ... जिसमे अलकेमिस्ट , जाहिर , ११ मिनट्स ( सभी   paulo coelho ) प्रमुख थी . जब मै पुस्तके खरीद रहा था तभी एक और पुस्तक प्रेमी वहां आ गये जिन्होंने आते ही rhonda byrne का नाम लिया ... मैंने भी वो बुक उठा कर देखी उसका हिंदी में अनुवाद ही काफी महगा लगा २५० -३०० के आस पास उसके दाम थे . मैंने उसके कुछ पन्ने पलटे कुछ दार्शनिक टाइप लगी .. मेरी समझ से बाहर थी मैंने रख दी ... यह ३ या ४ बर्ष पहले की बात है .. तब ३०० रूपये की बुक खरीदना मेरी समझ से बाहर था आज भी एक आम युवा के लिए १०० या १५० रूपये की बुक खास कर नावेल खरीदना काफी महगा लगता है .. ( यह अलग बात है कि ias / pcs / ssc/ Bank की तयारी के लिए गरीब से गरीब लड़का हजारो की बुक खरीद डालता है .. अब तो मंथली मागज़ीने भी १०० रूपये की आने लगी है . )
तो rhonda byrne को खरीदा नही पर दिमाग में उनकी बुक्स बैठी रही . the secret और the power यह नाम याद रह गये .. इस दुनिया में बहुत से छोटे छोटे चमत्कार होते रहते है .. उन पुस्तको की पढने की चाह थी और यह अपने आप पूरी हो गयी ( यह book भी इसी बारे में है आप जो चाहते है वो अपने आप हो जाता है ) . हुआ यह कि मैंने रहने के लिए नया फ्लैट किराये pr लिया .. वहां पर जो रहते थे उन्होंने फ्लैट धीरे धीरे खाली किया था .. उनका एक बोरा और कुछ कबाड़ छूट गया था .. उसको पड़े हुए महीनों हो गये थे .. एक रविवार मैंने उसे खोल कर देखा तो उसमे मेरे लिए खजाना था .. कई रुसी नावेल , rhonda byrne की दो पुस्तके .. और भी बहुत कुछ .. मतलब वो पहले वाले किरायेदार भी पुस्तकों काफी शौक़ीन थे .
rhonda byrne की बुक भी खत्म नही कर पाया पर काफी अच्छी है .. मै काफी समय से आप से पूछना चाह रहा था कि क्या आप ने ronda बर्न की बुक पढ़ी है ? क्या आपके साथ भी कोई चमत्कार हुआ है ? please share your view also. 
और आखिर में सबसे जरूरी बात ... हमे motivational books की जरूरत क्यों पडती है ? मेरे ख्याल से जब हम अपने जीवन से , उसके संघर्ष से उकताने लगते है तब हमे प्रेरणा की जरूरत होती है .. प्रेरणा लेने के लिए किताबे अच्छा माध्यम है पर मेरा यह मानना है कि आप अपने को मोटीवेट किसी भी चीज से कर सकते है ... बशर्ते आप में हुनर होना चाहिए .. लगन होनी चाहिए .. हमेशा अपने attitude में रहिये .. बस अपने आप से सदैव ईमानदार रहे .
फिल्मे भी motivation देती है ..........फिर किसी पोस्ट में कुछ motivational  फिल्मो पर बात करेगे ..
पोस्ट कैसी लगी अपनी कीमती राय जरुर दे ..आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मायने रखती है ..


नोट : मुझे अलग अलग कई लोगो ने इस तरह की बुक के नाम मागे है .मैंने अपना अनुभव शेयर किया है .. पर यह तब तक अधुरा है जब तक आपका भी अनुभव भी नही मिल जाता . ..मै जानता हूँ मेरे सभी पाठक बहुत अच्छे रूचि वाले है .. आप भी बताइए कि आप ने इस तरह कि कौन कौन सी बुक पढ़ी है ... ताकि अन्य लोगो को भी उससे भला हो .......



सोमवार, 18 जनवरी 2016

how to prepare economics for competitive exam



  1. economics  से जुड़े   questions  लगभग सभी exam में में पूछे जाते है . यह सभी के लिए काफी कठिन भी पड़ते है . आज इसके बारे में कुछ टिप्स बता रहा हूँ जिनको follow कर आप काफी हद तक इसकी अच्छी preparation  कर सकते है .  
  2. सबसे पहले बात आती है इस विषय से जुडी किताबो से . मैंने इसके लिए यह किताबे पढ़ी है 
  3. दत्त व सुन्दरम ( सबसे मोटी पर भाषा सबसे सरल और रोचक ) , रमेश चन्द्र ( आईएएस pre में इससे बहुत क्वेश्चन मिल जाते है .), लाल & लाल ( इसमें बहुत से फैक्ट है .. अच्छी लगी पर पता नही क्यू इसको ज्यादा पढने का मन नही करता है . ) 
  4. इन दिनों आईएएस में जो प्रश्न पूछे जा रहे है उनमेconcept बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है . इसके लिए आपको भारत की पूरी वितीय प्रणाली समझनी होगी . 
  5. अगर आप नियमित समाचार पत्र का अर्थव्यस्था वाला पन्ना पढ़ते है तो आपको काफी फायदा होगा . 
  6. pcs और दुसरे one day एग्जाम जैसे railway , ssc , bank के लिए अलग तरह का economics पूछा जाता है।  इसके लिए अलग तरह की  तैयारी  करनी चाहिए। बहुत बार reserve  bank of India ( RBI) से जुड़े प्रश्न सीधे सीधे आ जाते है।  
  7. बैंक के लिए ज्यादातर करंट BASED  QUESTIONS  होते है। इनके लिए न्यूज़ पेपर से  डेली नोट्स बनना बहुत HELPFUL  होगा।  
  8. प्रतियोगिता दर्पण का अतिरांक का काफी नाम है पर यह आईएएस के लिए अब ज्यादा उपयोगी नही रह गया है। बाकि एग्जाम के लिए काफी सहायक हो सकता है।  
  9. जब भी सालाना budget निकले , उसको अच्छे से पढ़े।  पूरा साल इससे क्वेश्चन पूछे जाते है।  
  10. बजट से पहले economic survey  निकलता है। यह बजट से भी ज्यादा उपयोगी होता है।  इस साल आईएएस मैन्स  में तीसरा पेपर में बहुत से क्वेश्चन सीधे सीधे इसी से थे।  



नोट : काफी दिनों से आप कहानी -कथा से जुडी पोस्ट पढ़ रहे थे। दरअसल वो मेरी हॉबी है इसलिए उसको भी समय देना पड़ता है। बहुत सी कहानियाँ जोकि मैंने जन जीवन में अनुभव की उनको न लिखने के चलते भूल गया।  HOPE YOU ENJOY THAT ALSO. 

आपकी पढ़ाई  कैसी चल रही है। खूब मेहनत से पढ़िए सफलता बस आपका इंतजार कर रही है।  





रविवार, 17 जनवरी 2016

STRANGE HOUSE : UNCLE'S FLOWER POT


"घास वाले अंकल"


प्रिय मित्रो .. आपको मेरी के पुरानी  POST  याद होगी लडकी जो भगवान खाती थी ..उसमे मैंने बताया था कि वो घर सच में अजूबा था .. कुछ ५ MEMBER  थे परिवार में और सब विलक्ष्ण .... आज परिवार के मुखिया ..यानि अंकल जी कहानी ..वैसे वास्तविक मुखिया तो औंटी जी थी 
.
अंकल जी सरकारी महकमे किसी छोटी पोस्ट पर थे .. सीधे साधे गौ जैसे ... उनके PERSONALITY  का वर्णन करने में मेरी लेखनी सक्षम नही है इसलिए उनके व्यक्तिव को रहने देते है सीधे STORY  पर आते है ..

उनकी छत पर कुछ गमले रखे थे ...उन गमलो कभी फुल रहे होंगे पर इन दिनों सूखे थे ..उसे गमले में न जाने कहाँ से घास उग आई . यह दूब थी जो काफी लम्बी होती है .. गमले में दूब बढती रही बढती रही और इतनी बढ़ी की रेलिंग से लटकने लगी . आम तौर पर लोग अपने बगीचे से दूब को खर पतवार समझ कर निकलते रहते है पर .. अंकल जी की सोच .. उनका नजरिया ..माशा अलाह ..
.
मैंने एक दिन अपने कमरे से देखा अंकल जी नहाने के बाद उपर गमले में पानी डालने गये है ... कुछ दिनों में पता चला कि दूब की तेजी से बढने के पीछे अंकल जी मेहनत है उसको खाद पानी दे कर अंकल जी तेजी से बड़ा कर रहे थे ..

दूब सच में बहुत ज्यादा बड़ी हो गयी थी ..वह रेलिंग से लटक कर बहुत  नीचे  आ गयी थी . एक रोज मैंने अंकल जी कहा कि बहुत लम्बा पौधा हो गया है लगता है WORLD RECORD बनेगा..”..मै उसे दूब कहकर  अंकल जी FEELINGS HURT  नही करना चाहत था . अंकल जी मुग्ध हो गये और बगैर कुछ बोले रेलिंग से लटकती दूब को सहलाने लगे .

उनका घर तो छोटा ही था पर कमरे कई थे ...औंटी जी किसी भी कमरे में हो उनमे खास शक्ति थी ..उनके कान बहुत तेज थे  . अंदर से बोली ...तुम भी आशीष मजाक कर रहे हो ...फालतू में घास बढती जा रही है ..मै किसी दिन उसको हटाने वाली हूँ ..” . बस इतना कहना था कि अंकल जी अपने दुर्लभ रूप नजर आये .. इतनी जोर से चिल्लाये कि घर के पीछे पीपल से २ ३ कौवे उड़ के भाग खड़े हुए .... उस दिन अंकल जी औंटी को बहुत सी बाते सुनाते हुए  सख्त हिदायत दी कि खबरदार उस पेड़ ( दूब)  को हाथ भी लगाया . वैसे तो औंटी जी की हमेशा चलती थी उस घर में . पर उस रोज अंकल जी का गुस्सा देख लगा कि मर्द कितना ही मरगिल्ला हो ..दब्बू हो .. उसको कभी अंडर वैल्यूएशन नही करना चाहिए .

मै वहां लगभग २० महीने रहा ..दूब बढती रही ..गर्मी में जब धुप बहुत प्रबल होने लगती उस गमले को जुट के टुकड़े से ढक कर रखा जाता .. दूब छत से लटक नीचे जमीन पर आ कर फैलने लगी थी .

अगर आप यह कहानी पच न रही हो तो दोष मेरा नही है ... वो पूरा घर ही विलक्ष्ण था ... वैसे आप सोच रहे होंगे कि दूब का अंत में हुआ क्या ? तो आप जिज्ञासा शांत कर दू ..
उनके घर को छोड़ने के कुछ महीनों बाद जब मै उधर गया तो देखा कि उनके घर में घास रेलिंग पर नही लटक नही रही है . अंकल ने  बातचीत में उस पौधे के दुखद अंत .. और गौरवशाली विदाई के बारे में बताया ( वो कहानी फिर कभी ..) 


मंगलवार, 12 जनवरी 2016

when people become stone ! funny story

जब लोग पत्थर के बन गये                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                चाट बेचने वाले की दुखद कहानी याद है . मैंने बताया था उस घर में सैकड़ो stories छुपी है . अचानक ये याद आ गयी . अमूमन पढाई करने वाले लडके देर रात तक पढ़ते है और सुबह देर से उठते है . एक morning जब सोकर उठा तो पाया मोहल्ले के women का जमघट सुबह ही लग गया है . आम तौर पर यह दोपहर में खास तौर पर जब light चली जाती थी तब लगता था . ये ऐसी चौपाल होती थी जिसमे महिलाये अपने घरो के बाहर बनी staris पर बैठ कर गप्पे लड़ाया करती थी .
जब बाहर निकला तो बगल वाली चाची ने तुरंत ही टोक दिया कैसे घोड़े बेच कर सो रहे थे . night में कितनी आवाज लगाई पर तुम उठे ही नही . मैंने पूछा कि क्या हुआ था . तो चाची ने कहा कि night में लोगो के फ़ोन आये थे कि सोना मत आज रात में बारह बजे सब लोग पत्थर बन जायेगे , इसलिए सब लोगो ने अपने अपने relatives को फ़ोन करके बता रहे थे कि सोना मत . सारी लोग जागते रहे . बहुत से लोग बाहर सडक तक चले गये थे . उनकी बात सुनकर मुझे बहुत हसी आयी लगा कि joke कर रही है . but she was right .
मेरी आदत रात में फ़ोन  switch off करके सोने कि है . फ़ोन on किया तो कई लोगो के message  पड़े थे . कुछ ही देर में एक दो फ़ोन आ गये कि रात में वो जगाने के लिए फ़ोन किया था . मैंने कहा शुक्रिया . मैंने पूछा कि कोई पत्थर बना कि नही . वो भडक गये  कि तुम से तो बात करना ही बेकार है .
खैर  धीरे धीरे पता चला कि सारी रात हंगामे में कटी थी . चाहे kanpur हो या delhi , गोरखपुर , नोयडा लगभग सभी जगह लोग सारी रात जगते और जगाते रहे . ये खबर पेपर में भी आयी थी .
दिमाग में कुछ चीजे यूँ ही याद रह जाती है , इस खुराफात की शुरुआत कहाँ से हुई थी यह आज भी राज है मुझे पता नही किसने बताया था कि ये सारी कलाकारी शुक्लागंज से शुरू हुई थी पर यह जरूरी नही कि सच ही हो . 

What is your hobby?


यह एक पुरानी पोस्ट है जो बस ड्राफ्ट बन कर पड़ी थी । जैसा कि मैंने पहले बताया है कि मेरे पास समय की बहुत किल्लत है , और मैं लिखने से ज्यादा दिन दूर नही रह सकता । इसके बीच का रास्ता यह है कि छोटी और अधूरी पोस्ट लिखता रहूँ । यह इसी तरह की पोस्ट है । लिखा कम है समझना ज्यादा ☺

आप में बहुत से लोगो ने कई हॉबी लिखी है जो सुनने में अच्छी और रोचक है.........पर सोचिये यह सब आप बोर्ड के सामने लिख कर फस सकते है....आपको मेरी एक पुरानी पोस्ट याद होगी जिसमे मैंने इंटरव्यू के बारे में लिखा था........तो अच्छा होगा किसी एक को टॉप पर रखिये और उसमे मास्टर बनिए......परफेक्शन होगी तो आपकी होबी बहुत अच्छे मार्क्स दिला सकती है.... मै अपनी कहू तो मै चेस में कॉलेज का कप्तान था यूनिवर्सिटी लेवल पर खेला...बैडमिन्टन भी अच्छी खेल लेता हूँ....डांसिंग में भी काफी अच्छा हूँ... लम्बे समय तक रनिंग भी की है.. खाना भी बहुत अच्छा बना लेता हूँ , ऐसी बहुत सी चीजे है जिनमे मै एक्सपर्ट हूँ...पर इनको मै हॉबी नही मानता........क्युकि यह चीजे बस मुझे पसंद है....हॉबी तो राइटिंग को मानता हूँ..क्युकि बहुत बार जब आईएएस मैन्स के पेपर दे रहा होता हूँ तो उसके बीच में मुझे ख्याल आता है क्यों यार......इसमें उलझे हो....राइटिंग करो उसमे मजा है संतुष्टि है.......

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