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मंगलवार, 1 सितंबर 2015

ONE RANK ONE PENSION ( POINT WISE NOTES )

एक रैंक एक पेंशन

# अर्थ-
      *   एक रैंक एक पेंशन का मतलब अलग-अलग समय पर रिटायर हुए एक ही रैंक के  दो सैनिको को समान पेंशन देना

*  बिना रिटायरमेंट की तिथि पर विचार किये।
फ़िलहाल रिटायर होने वाले को रिटायरमेंट के समय जो नियम है उसी के अनुसार पेंशन मिलती है।
*  मतलब ये हुआ की अगर कोई सैनिक 20-25 साल पहले समान रैंक से रिटायर हुआ है और जो आज रिटायर हुआ है उससे पहले  रिटायर होने वाले की पेंशन काफी कम होगी।

# 1973 के समय तक एक रैंक एक पेंशन के आधार पर ही पेंशन दी जाती थी, जिससे ARMY में पेंशन अन्य सेवाओं से कही अधिक थी।

* इसीलिए आर्मी में कार्यरत लोगो और अन्यसेवाओं में लगे लोगो को  समानता प्रदान करने के लिए 1973 में  इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में तीसरे वेतन आयोग ने एक रैंक एक पेंशन की अवधारणा को समाप्त कर दिया।

*1973 के बाद जब भी कोई रिटायर होगा उसे रिटायरमेंट की तिथि को जो नियम कानून होंगे उसके अनुसार ही पेंशन मिलेगी।

* 2009 में फिर से एक रैंक एक पेंशन की अवधारणा को बल मिलने लगा।
* 2010 में 10 सदस्यों वाली संसदीय पैनल का गठन हुआ जिसे कोशियारी समिति ( koshiyari committee )के नाम से भी जानते है। 
* इस समिति ने  19 दिसंबर 2011 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे एक रैंक एक पेंशन का समर्थन किया।

सैनिको का इसके समर्थन में तर्क है की जहाँ उनको 33 वर्ष की अवधि के बाद रिटायर कर दिया जाता है वही अन्य सेवा में लगे कर्मचारी जैसे सिविल सेवक आदि 55 से 60 साल तक वेतन प्राप्त करते है ।
सैनिको की रिटायरमेंट के बाद की ज़िन्दगी पेंशन के सहारे ही चलानी है।

*ये मुद्दा अभी इसलिए भी अभी बढ़ गया है क्योकि 2014 के लोकसभा चुनावो में इसे लगभग सभी बड़ी पार्टियो ने चुनावी मुद्दे के रूप में प्रयोग किया तक।

* पेंशन का भुगतान की वास्तविक कीमत का पता करना थोडा कठिन है।
सरकार ने जहाँ बजट 2015-16 में पेंशन के लिए 1000 करोड़ का अनुमान रखा है वहीँ इसका वास्तविक अनुमान 9000 करोड़ लगया जा रहा है। इस तरह से ये कहीं न कहीं राजकोषीय प्रबंधन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा ।

* एक अन्य नकारात्मक प्रभाव यह भी हो सकता है की इस मांग के पूरा होने से अन्य सेवाओं में लगे कर्मचारी भी ऐसी ही मांगे उठाना शुरू कर सकते है।

* सैनिको पर इसका सकारात्मक प्रभाव होगा जो किसी भी देश के सैनिको के लिए बहुत आवश्यक है।

* इससे सैनिको का मनोबल बढेगा ।

 चाणक्य जी ने कहा है-“ जिस देश के सैनिको को अपने अधिकारो के लिए स्वयं लड़ना पड़े इससे बड़ा उस देश का कोई दुर्भाग्य नही हो सकता ।"



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