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गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

That air hostess


वो अशिष्ट एयर होस्ट्रेस 


13 अप्रैल 2018 की दिल्ली के एयरपोर्ट - टर्मिनल 3 से जेट एयरवेज की अहमदाबाद को जाने वाली रात 11 बजे की फ्लाइट।


यह लगातार  तीसरी रात थी  मैं चाह कर भी सो नहीं पा रहा था। पिछले 72 घंटो में 1 घंटे भी सो नहीं पाया था। फ्लाइट कुछ देर से आयी थी। पहली बार जेट एयरवेज की फ्लाइट ली थी इसलिए हर चीज पर गौर कर रहा था। विमान में इंडिगो की तुलना में सीट में ज्यादा स्पेस था। मेरे पड़ोसी दो बुजुर्ग पति पत्नी थे और मैं यह ऑब्ज़र्व कर चूका था कि वो पहली बार उड़ने जा रहे है। मैं बुरी तरह से थका , निढाल था। हमेशा की तरह मेरी विंडो सीट थी . मै चुपचाप आँखों को बंद कर बैठा था। विचारों की अनगिनत , अनवरत कड़ियाँ। इन विचारों के चलते ही अनिंद्रा का शिकार हो चूका हूँ। 

तभी इमरजेंसी लैंडिंग से जुडी डेमो देने की बारी आ गयी। न जाने क्यू मेरी नजर पीछे की तरफ चली गयी। मै बस देखना चाह रहा था कि एयर होस्ट्रेस कहां खड़ी होकर डेमो देंगी। मैंने नोटिस किया उनमें से एक के मुहँ के पास सफेद पाउडर सा कुछ लगा है। ऐसा लगा कि वो कुछ खा रही थी और हड़बड़ाते हुए जल्दी से डेमो देने के लिए आ गयी हो।  


इंडिगो की फ्लाइट में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता , जिसको जो खाना हो खरीद कर खाओ। इस फ्लाइट में हर किसी के लिए लाइट नाश्ता था। वो एयर होस्ट्रेस वेज , नॉन वेज का ऑप्शन पूछती हुयी नाश्ता देती हुयी आ रही थी। मुझे लगा कि अपने बगल की बुजुर्ग यात्रियों की मदद करनी चाहिए। मेरी सीट के पास आकर भी वही पूछा - वेज / नॉन वेज। मैंने कहा -आप इन्हें शाकाहारी / मांसाहारी में पूछिए, ऐसे समझ नहीं पायेगें।  वो बोली क्यों समझ नहीं पाएंगे। अब मैं उससे बहस नहीं करना चाहता था। वो नाश्ता देकर आगे बढ़ गयी। मैंने नोटिस किया कि उसने टी के लिए मिल्क , सूगर के पैकेट, स्टिक  और कप तो दिए है पर गर्म  पानी तो दिया ही नहीं। मैंने उसे टोका तो बोली - पानी गर्म है कही किसी के ऊपर गिर न जाये और वो जल जाये इसीलिए नहीं दे रही हूँ।उसके जबाब में हिकारत सी नजर आयी। ऐसा लगा कि कह रही हो कहाँ - कहाँ से आ जाते है। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उन बुजुर्ग दंपति के  साथ हूँ। मैंने कहा -नहीं।   


गलती होना अलग बात है पर किसी को  बेवकूफ बनाना या समझना मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। ये क्या लॉजिक हुआ कि पानी गर्म है कोई जल सकता है। सीधे सीधे बता सकती थी कि गर्म पानी खत्म हो गया। मैंने नास्ता करते हुए देखा कि वो बुजुर्ग सैंडविच में वो सफेद मिल्क पावडर डाल कर खाने की कोशिस कर रहे थे। मैंने उन्हें रोका और बताया कि यह ड्राई मिल्क है टी बनाने के लिए। इससे पहले कि वो पूछते कि टी कैसे बनानी है , मैंने उन्हें पूरी बात समझायी कि गर्म पानी नहीं मिला इसलिए चाय भूल जाओ। 

सच कहूं तो मेरा चाय पीने का जरा भी मन न था क्यूँकि चाय के बाद मुझे नींद और भी न आती मुझे रह रह कर  उन बुजुर्गों के साथ जो बदतमीजी की गयी थी पर गुस्सा आ रहा था। मैं उस अशिष्ट एयर होस्ट्रेस से बहस करने के मूड में नहीं था दरअसल थकान से मेरा बदन टूट रहा था। हाँ , मन में एक ख्याल जरूर आ रहा था कि इसको सबक जरूर सिखाना है। कुछ देर बाद कचरा लेने सीट के पास आयी। मैंने विन्रमता से उसका नाम पूछा - पल्लवी - उसने कहा।  

इसके बाद बारी थी अपने  सहयात्रियों से जानकारी जुटाने की। बातों ही बातों में पाता किया। वो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से थे। सिंचाई विभाग से हाल में ही सेवानिवृत हुए थे। गांधीनगर , गुजरात में उनका बेटा रहता था जो इंडियन नेवी में काम करता है। उनका नाम ओमप्रकाश ( शायद ,क्यूँकि मैंने बस अपने मन में नोट किया था ) था। फ्लाइट लैंड करने के समय एक बार फिर मैंने पुरे ध्यान से सुना - पल्लवी। आज की फ्लाइट के केबिन क्रू मेंबर के तौर पर यही नाम दोहराया गया। 

कहानी पूरी सच्ची है पर अपने कोई निष्कर्ष निकला या नहीं। क्या आप बता सकते है कि पल्लवी के मुँह पर मैंने जो  सफेद सा पावडर देखा था वो क्या था ? अरे , एक बात तो बताना भूल ही गया मैंने अपनी प्लेट में सुगर और मिल्क पाउडर खोले बगैर ही छोड़ दिया था। 


माननीय प्रधानमंत्री जी ने उड़ान ( उड़े देश का आम नागरिक ) योजना के तहत हवाई यात्रा के किराये काफी सस्ते कर दिए हैं। यह भी सच है कि  हवाई चप्पल पहनने वाला भी आज उड़ सकता है पर विमान के अंदर जो आम आदमी के साथ हिकारत , बदतमीजी होती है उसका क्या। कभी डॉक्टर को पीटा जाता है , मच्छर की शिकायत करने पर उसे उतार दिया जाता है। 

प्रिय दोस्तों ,  उन बुजुर्ग के साथ जो हुआ , उसकी पुनरावृति दोबारा न हो। इसलिए इस पोस्ट को जमकर शेयर करे ताकि जेट एयरवेज अपने केबिन क्रू मेंबर की अभिवृति में बदलाव लाने पर मजबूर हो। मेरा जेट एयरवेज को यही सुझाव है कि वह अपने क्रू मेंबर को ड्राई मिल्क पाउडर एक्स्ट्रा दिया करे ताकि वो यात्रियों से चोरी करने और चुरा कर खाने के लिए बाध्य न हो। 

धन्यवाद। 


आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

























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