भारत - ईरान सम्बन्ध
ईरान के हाल में हुए चुनाव में हसन रोहानी का दोबारा चुना जाना , भारत तथा विश्व के लिए कई मायनों में अहम है। ईरान में हसन रोहानी ने चुनाव के लिए खुलेपन , नुक्लिएर ऊर्जा , उदारवाद को मुद्दा बनाया था। उन्होंने ने अपने विपक्षी इब्राहिम रईसी को अच्छे अंतर् से हराया है। इब्राहिम रईसी कटटरवाद के समर्थक है , वह पश्चिमी देशो से ज्यादा गहरे सम्बन्धो के हिमायती नहीं रहे है।
हसन रूहानी की जीत को फ्रासं में मैक्रॉन , दक्षिण कोरिया में मून जे की जीत के क्रम में देखा जा सकता है और यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि विश्व में अभी भी खुलेपन को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
भारत के लिए महत्व
ईरान भारत के लिए न केवल ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है वरन यह मध्य एशिया के लिए वैकल्पिक रास्ता भी मुहया करा रहा है। भारत ने २००२ में चाबहार पोर्ट के विकास के लिए समझौता किया था। यह पोर्ट लगभग तैयार हो चूका है। इसके माध्यम से भारत मध्य एशिया के साथ गहरे सम्बन्ध विकसित कर सकता है। चीन ने इसके पास ही पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है। एक प्रकार से यह भारत के लिए इस मायने में भी अहम है।
ईरान उत्तर -दक्षिण संपर्क मार्ग का एक अहम सदस्य है। इस मार्ग के माध्यम से भारत ईरान होते हुए रूस तक एक बहु आयामी मार्ग (रेल ,सड़क, समुद्री रास्ता ) बनाने की भी योजना है। अभी स्वेज नहर वाला मार्ग , भारत अपना रहा है। इस नए मार्ग के विकास से भारत मध्य एशिया , पूर्वी यूरोप तक ज्यादा तेज , वहनीय तरीके से पहुंच सकेगा।
आशीष कुमार
उन्नाव ,उत्तर प्रदेश।
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