भारत -जर्मनी द्विपक्षीय सम्बन्ध
चार देशों की यात्रा पर गए भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जर्मनी को पहले चुनना विशेष नजर से देखा जा रहा है। ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद, यूरोपीय यूनियन का भविष्य , जर्मनी पर निर्भर करता है। जर्मनी भारत के लिए बड़ा निवेश भी है। तकनीक के मामले में जर्मनी विश्व के सबसे अगुवा देशों में एक है।
भारत जर्मनी के साथ आतंकवाद , जलवायु परिवर्तन (climate change ) व वैश्विक सस्थाओं में सुधार के मुद्दे पर आम सहमति रखता है। अमेरिका के राष्ट्पति डोनाल्ड ट्रम्प ने पेरिस संधि से अलग होने की बात कह चुके है। ऐसे में अन्य देशो को मिलकर अमेरिका पर दबाव डालना होगा कि वह विश्व के भविष्य पर साथ बना रहे। भारत जर्मनी संयक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग कर रहे है। जापान और ब्राज़ील के साथ इन दोनों देशो ने इस संदर्भ में ग्रुप 4 का निर्माण भी किया है। आशा की जानी चाहिए कि भारत के प्रधानमंत्री की यह यात्रा जर्मनी के साथ सम्बन्धो को और मजबूती प्रदान करेगी।
आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
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