रोटी का स्वाद
मेरे पुराने रूम मेट एक कहानी सुनाया करते थे । उनके भाई रेलवे में ठेकेदार थे। एक बार मित्र उनकी साइट पर मजदूरों के सुपरविजन के लिए रुके। आस पास होटल न थे। मित्र भूखे और बेचैन। रात को मजदूरों ने ईटो का चूल्हा बनाया और मोटी मोटी रोटी बनायी। मित्र अक्सर जिक्र किया करते थे कि उस रात नमक व प्याज के साथ वो मोटी गर्म रोटी उनकी जिंदगी का सबसे स्वादिष्ट भोजन था।
एक और साथी इंद्रजीत राणा (उनका नाम लिख दूँ क्योंकि अक्सर कहा करते है कि उन पर भी कभी कहानी लिख दिया करू ) जोकि डिप्टी कमांडेंट है और इन दिनों रैपिड एक्शन फ़ोर्स में अपनी सेवा दे रहे है, भी कुछ ऐसी बातें किया करते थे। उन दिनों हम एक सरकारी होस्टल में थे। होस्टल बन रहा था। वहाँ पर शाम को मजदूर खुले में अपनी रोटी बनाते । इंद्रजीत अक्सर कहा करते - यार उनकी रोटी इतनी सोंधी होती है कि मन होता कि उनसे मांग के खा लूं। होस्टल में हमें जली भुनी ठंडी रोटी मिलती । इंद्रजीत अक्सर खाने को लेकर हंगामा करता था। (10 साल पहले की बात है जो अब उसे शायद ही याद हो )
अपनी बात करूं तो बचपन मे घर मे लकड़ी के चूल्हे में रोटी बनती थी और काफी सालों तक मोटी, हाथ से पानी लगाकर बनाई जाने वाली रोटी खाने को मिलती रही। कई सालों से अब गांव में गैस में ही रोटी बनती है। अहमदाबाद आने के बाद यहाँ हयात जैसे 5 स्टार होटल में लंच भी किया पर वो स्वाद न मिला। इसलिये कल रात जब ऐसी चूल्हे वाली रोटी और सब्जी खाने को मिली तो तबियत खुश हो गयी। दिन भर महाबलेश्वर घूमते रहे थे , इसलिए भूख भी खुल कर लगी थी। अपार तृप्ति का आंनद मिला। अपने कब खायी थी ये गर्म, मोटी, सोंधी व मीठी रोटी कब खाई थी ?
@ आशीष , उन्नाव
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