पुराने पाठको को शायद मेरी एक लघुकथा याद हो -संत और बेरोजगार । उसमें विजय जी कहानी थी । वास्तव में विजय जी काल्पनिक पात्र न होकर , एक वास्तविक पात्र है । विजय जी , मुझसे एक बात कहा करते थे कि आशीष अनुभव की कोई किताब नही होती है । उनके कहने का मतलब यह था कि हर चीज आप किताबों से पढ़कर नही पा सकते ।
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BOOKS
गुरुवार, 15 सितंबर 2016
Experience Matter
पुराने पाठको को शायद मेरी एक लघुकथा याद हो -संत और बेरोजगार । उसमें विजय जी कहानी थी । वास्तव में विजय जी काल्पनिक पात्र न होकर , एक वास्तविक पात्र है । विजय जी , मुझसे एक बात कहा करते थे कि आशीष अनुभव की कोई किताब नही होती है । उनके कहने का मतलब यह था कि हर चीज आप किताबों से पढ़कर नही पा सकते ।
बंजर
मंगलवार, 13 सितंबर 2016
Hindi Day
निज भाषा उन्नति अहे ,निज भाषा सब मूल
बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटय न हिय को शूल
-भारतेंदु हरिश्चंद्र
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ।
सोमवार, 12 सितंबर 2016
The Indian Express
जन धन योजना
इंडियन एक्सप्रेस कमाल का और मेरा पसन्दीदा अख़बार है । आज एक शानदार खुलासा किया है इसमें । जन धन योजना से जुड़ा ।
यह सबको पता है कि इस योजना में जितनी तेजी से बैंक में खाते खोले गए उससे गिनीज बुक में रिकॉर्ड बन गया पर उससे जुडी हकीकत बहुत ही शर्मनाक है ।
आज के इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे से पता चला कि बहुतायत बैंक खातों में 1 रुपए , 10 पैसे , जितना रुपया खुद बैंक से जुड़े कर्मचारियों ने जमा करा दिए । इससे जीरो बैलेंस खातों की संख्या में तेजी से कमी आई। जुगाड़ निकाल कर बेवकूफ बनाना , भारत में बड़ी आम बात है ।
आज यह सब पढ़ा तो मुझे कुछ याद आ गया । जब यह योजना की शुरुआत जोरों से हुयी थी उन्ही दिनों मेरा अपने शहर उन्नाव जाना हुआ । मैंने अपने मकान मालिक का जिक्र शायद पहले भी किया है उनकी ज्यादा खूबियों का जिक्र न कर बस इतना ही कहूँगा कि डेढ़ सयाना इंसान है । उसने मुझसे पूछा कि इस खाते (जन धन)से क्या फायदा होगा ? मैंने उसे बैंक खाते के सामान्य लाभ बताने शुरू कर दिए । उसने बात काटते हुए कहा कि सरकार कुछ रूपये देगी क्या ? मैं उसकी बात फिर समझ नही पाया । काफी देर बात मुझे समझ आया कि वो काले धन 15 लाख की बात कर रहा है । उसके पास पहले से ही 4 , 5 खाते रहे होंगे । मुझे मन में बहुत हंसी आई उसकी चतुराई या भोलेपन पर यह कह पाना मुश्किल है ।
Copyright -asheesh kumar
गुरुवार, 8 सितंबर 2016
Villages vs. Cities
आप ने यह बात बहुत दिनों या सालों से सुनी होगी कि सरकार का एक लक्ष्य यह भी ही सभी गांव को 24 घंटे बिजली मिल सके । कई योजनाएं भी चल रही है ।
पिछले कुछ दिनों से मुझे यह ख्याल आता है कि यह कभी नही होने वाला है क्योकि बिजली कितनी ही बना ली जाय वह शहर में ही खत्म हो जायेगी । सोचो कैसे । एक example देता हूँ अब शहर में आम लोगो के घरो में भी a.c. दिखने लगा है । बड़े घरो में हर कमरे में यह दिखने लगे है । मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बिजली की खपत शहरों में कई गुना बढ़ने वाली है , बिजली चूँकि मूल्य चुकाने पर ही मिलती है इसलिए जिसके पास आमदनी होगी वह इसे खरीद सकेगा
शुक्रवार, 2 सितंबर 2016
Just for talk
सोमवार, 22 अगस्त 2016
Do you work yourself
all rights reserved .Ⓒ asheesh kumar
मंगलवार, 19 जुलाई 2016
Every rainy season reminds us something .......
गुरुवार, 7 जुलाई 2016
Education
"शिक्षा सबसे ताकतवर हथियार है , जिसका इस्तेमाल आप दुनिया बदलने के लिए कर सकते है " - नेलसन मंडेला
वर्तमान समय में जो विसंगतियां दिखती है उसकी बड़ी वजह सब की शिक्षा तक समान रूप पहुंच न होना है। जिस देश , प्रदेश , समुदाय , लिंग को जितनी अच्छी और आधुनिक शिक्षा मिली वो आगे निकल गए। अपने मानवीय पुँजी के बारे में सुना होगा।
भारत जल्द ही सबसे बड़ा आबादी वाला देश बन जायेगा। अगर वह अपने नागरिकों पर शिक्षा , स्वास्थ्य पर सही तरीके से निवेश करता है तो उसे डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ मिलेगा।
सोमवार, 27 जून 2016
PREPARATION TIPS FOR ECONOMICS
- दत्त & सुंदरम
- डा. लाल & लाल
- रमेश सिंह
- प्रतियोगिता दर्पण का अतिरिक्तक
- NCERT की बुक्स
- इकनोमिक सर्वे
गुरुवार, 23 जून 2016
thought/ lines for essay writing
एक निबंध की रूप रेखा -
मंगलवार, 21 जून 2016
kbhir ki famous lines / dohe
- मो को कहाँ ढूँढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में
- 'घर-घर में वह साईं बसता, कटुक बचन मत बोल रे'
- हिरदा भीतर आरसी, मुख देखणा न जाई/मुख तो तौपरि देखिए, जे मन की दुविधा जाई।'
- 'साईं इतना दीजिए जा में कुटुम समाय।
- मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।'
- माया तजूँ, तजी न जाय/फिरि फिरि माया मोहे लिपटाय
- काहे रे मन दह दिसि धावै, विषिया संग संतोष न पावै'
- जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान
- मैं मैं बड़ी बलाई है, सकै तो निकसि भाजि/ कब लग राखौ हे सखी, रूई पलेटी आग'
- कबीर अपने जीवते, एै दोई बातें धोई / लोभ बड़ाई कारणौ, अछता मूल न खोई
- जो तू बामन बामनी जाया, आन बाट तै क्यों न आया / जो तू तुरक तुरकनी जाया, भीतर खतना क्यों न कराया
- 'पाहन पूजे हरि मिले, मैं पूजूँ पहार।
- ताते या चाकी भली, पीस खाय संसार।'
- काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।
- ता चढ़ मुल्ला बाँग दे, बहरो भयो खुदाय।'
- 'निंदक नियरे राखिए'
- सुखिया सब संसार हे, खावै अरु सोवै
- दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै।'
- कबीरा खड़ा बजार में , मागे सबकी खैर।
- कबीरा यह संसार है जैसे सेमल फूल
- गुरु गोविन्द दोउ खड़े , काके लागु पाय
- बकरी पाती खात है , ताकि काढ़ि खाल
- जे नर बकरी खात है , उनके कौन हवाल
सोमवार, 20 जून 2016
Your words are so precious
शब्द आपके बहुत कीमती होते है इन्हे बहुत सोच कर , सम्भल कर प्रयोग करें। यह मोती है। इन्हे व्यर्थ में मत खर्च करें।
शुक्रवार, 17 जून 2016
Important book for environment
- वैसे मैंने जुरुरी किताबों पर पहले भी पोस्ट कर चुका हूँ , एक जरूरी बूक बताने को भूल गया था। ईराक भरूचा की environment वाली बूक बहुत ही सरल और सटीक है।
- लगभग सारे प्रश्न इसमें छुपे है।
- यह पुस्तक इसलिए भी जरूरी है क्युकी इसके आधार पर बहुत से एस्से लिखे जा सकते है।
- अगर आप जल्दबाजी में इसे पढ़े तो आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।
- इसलिए बहुत सरल तरीके से अंडरलाइन करते हुए पढ़े आपको मजा आएगा।
गुरुवार, 16 जून 2016
post on facebook page
- " जरूरी नही की हर बात का जबाब मुह से ही दिया जाय "शांत रह कर , सही मौके का इंतजार करे । कर्म करते रहे ।
गुरुवार, 9 जून 2016
Race
मंगलवार, 31 मई 2016
दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना
दिनकर की कविता मे राष्ट चेतना
- भावों के आवेग प्रबल
मचा रहे उर में हलचल रेणुका - पूछेगा बूढ़ा विधाता तो मैं कहूँगा
हाँ तुम्हारी सृष्टि को हमने मिटाया। - रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहाँ
जाने दे उनको स्वर्ग धीर
पर फिरा हमें गांडीव गदा
लौटा दे अर्जुन भीम वीर। हिमालय - कितनी मणियाँ लुट गईं! मिटा
कितना मेरा वैभव अशेष
तू ध्यानमग्न ही रहा, इधर
वीरान हुआ प्यारा स्वदेश। - धर्म का दीपक, दया का दीप
कब जलेगा, कब जलेगा
विश्व में भगवान। कुरुक्षेत्र - दूध दूध ओ वत्स तुम्हारा दूध खोजने जाता हूँ मैं
हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने आता हूँ मैं हाहाकार - चढ़ कर विजित श्रृंगों पर झंडा वही उड़ाते हैं।
अपनी ही उँगली पर जो खंजर की जंग छुड़ाते हैं। - सारी दुनिया उजड़ चुकी है गुजर चुका है मेला;
ऊपर है बीमार सूर्य नीचे मैं मनुज अकेला। अंतिम मनुष्य-सामधेनी' - आशा के स्वर का भार पवन को लेकिन लेना ही होगा
जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा। - कलम आज उनकी जय बोल !
जला अस्थियाँ बारी बारी
छिटकाई जिनने चिनगारी
जो चढ़ गए पुष्प वेदी पर लिए बिना गरदन का मोल 'हुंकार
शुक्रवार, 27 मई 2016
यशपाल का " झूठा सच"
- भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति
- दो भागो मे -1 वतन और देश 2 देश का भविषय
- प्रमुख पात्र - जयदेव पूरी ,उसकी बहन तारा , उसकी प्रेमिका कनक , मास्टर राम लुभाया , इनके बड़े भाई राम ज्वाला , डा. प्राणनाथ ,
- पहला भाग लाहौर की कथा है तो दूसरे में दिल्ली
- सम्प्रदायिक दंगे , उसकी पृवत्ति कथा का सटीक विवरण है।
- यशपाल जी ने कलम को माध्यम बना कर अपने भोगे यथार्थ को उकेरा है
- इस नावेल में तत्कालीन समाज के हर पहलू पर नजर डाली गई है।
- स्त्री विमर्श की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण
- श्यामा जो की ३३ की होकर भी अविवाहित है उसका सम्बन्ध डे से है जोकि विवाहित है 3 बच्चों का पिता भी है।
- इस नावेल की भाषा बहुत सरल और प्रवाहमयी है . कथानक बहुत लम्बा होते हुए भी उबाऊ नहीं है क्योंकि भाषा जनजीवन की भाषा है।
Difference between law and morality
गुरुवार, 26 मई 2016
Social Values vs. Economic Values
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SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )
मुझे किसी भी सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...
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एक दुनिया समानांतर संपादक - राजेंद्र यादव एक दुनिया समानांतर , राजेद्र यादव द्वारा सम्पादित नयी कहनियों का ...
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निबंध में अच्छे अंक लाने के लिए जरूरी है कि उसमे रोचकता और सरसता का मिश्रण हो.........आज से कुछ लाइन्स या दोहे देने की कोशिश करता हूँ......
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पिछले दिनों किसी ने इस बारे में रिक्वेस्ट की थी। आज मैंने कुछ टॉपिक्स जुटाने की कोशिस की है। भूगोल बहुत बड़ा विषय है। इसमें बहुत से टॉपिक ...