टॉपिक : 64 कर्म करे और फल की इच्छा मत करें।
लगभग सभी लोग गीता की इस उक्ति से परिचित ही होंगे। क्या आप ने इस बारे में मनन किया है। इसका वास्तव में मतलब क्या है ?
सच में इस पक्ति में जीवन का सार छुपा है। इस के मनन और चिंतन से आप अपने जीवन को नए नजरिये से देखना शुरू कर सकते है।
सभी लोग कम्पटीशन की तैयारी कर रहे है। आपका इस तरह कर्म कर रहे है और फल मतलब है परीक्षा में सफल हो जाना। आप में क्या कोई ऐसा भी है जो सच में फल की इच्छा नही कर रहा है। शायद हर कोई ही फल की इच्छा करके ही कर्म कर रहा है। मतलब यह कि आप नियम के विपरीत चल रहे है।
आइये देखे नियम के विपरीत चलने से क्या होता है। मान लीजिये आप पिछले २ साल आईएएस की तैयारी कर रहे थे। खूब जम कर , अपने जीवन को सन्यासी की तरह सीमित कर , लगातार पढ़ा। साथ ही आप ने चयन की इच्छा भी मन में पाल ली। जब रिजल्ट आया और किसी कारणवश आपका चयन न हुआ तो क्या होगा। आप बहुत दुःखी होंगे , रोयेंगे , मायूसी से घिर जायेगे।
दूसरी ओर अगर अपने किसी तरह की इच्छा ही नही रखी होगी तो आप के लिए परिणाम से कोई फर्क नही पड़ेगा। वास्तव में कर्म करने तक जोर होता है पर फल / परिणाम /चयन की इच्छा में हमारा कोई वश नही होता।
लगभग सभी लोग गीता की इस उक्ति से परिचित ही होंगे। क्या आप ने इस बारे में मनन किया है। इसका वास्तव में मतलब क्या है ?
सच में इस पक्ति में जीवन का सार छुपा है। इस के मनन और चिंतन से आप अपने जीवन को नए नजरिये से देखना शुरू कर सकते है।
सभी लोग कम्पटीशन की तैयारी कर रहे है। आपका इस तरह कर्म कर रहे है और फल मतलब है परीक्षा में सफल हो जाना। आप में क्या कोई ऐसा भी है जो सच में फल की इच्छा नही कर रहा है। शायद हर कोई ही फल की इच्छा करके ही कर्म कर रहा है। मतलब यह कि आप नियम के विपरीत चल रहे है।
आइये देखे नियम के विपरीत चलने से क्या होता है। मान लीजिये आप पिछले २ साल आईएएस की तैयारी कर रहे थे। खूब जम कर , अपने जीवन को सन्यासी की तरह सीमित कर , लगातार पढ़ा। साथ ही आप ने चयन की इच्छा भी मन में पाल ली। जब रिजल्ट आया और किसी कारणवश आपका चयन न हुआ तो क्या होगा। आप बहुत दुःखी होंगे , रोयेंगे , मायूसी से घिर जायेगे।
दूसरी ओर अगर अपने किसी तरह की इच्छा ही नही रखी होगी तो आप के लिए परिणाम से कोई फर्क नही पड़ेगा। वास्तव में कर्म करने तक जोर होता है पर फल / परिणाम /चयन की इच्छा में हमारा कोई वश नही होता।
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