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BOOKS
सोमवार, 23 अप्रैल 2018
Digital World
गुरुवार, 19 अप्रैल 2018
That air hostess
शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018
OUTLOOK- PRIZE WINING LETTER
BUDGET 2017-18
बुधवार, 28 मार्च 2018
An evening in mukherjee nagar, delhi
मंगलवार, 6 मार्च 2018
दुक्खम सुक्खम : A novel by Mamta Kaliya
A very bad time for me and my family
मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018
How to double former income
[ This letter has been published in yojna hindi feb 2018 issue .]
रविवार, 4 फ़रवरी 2018
Muktibodh ki kvita
Banking Charges
GST implementation
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
Importance Aadhar Card
how to double farmers income ?
शनिवार, 13 जनवरी 2018
Supreme court issue
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा अपनी ही संस्था को लेकर सवाल खड़े किये गए हैं।उन्होंने सही किया या गलत इसको लेकर अलग अलग राय हैं । मेरे विचार से हमारे देश में सर्वोच्च स्थान संविधान का है। सुप्रीम कोर्ट संविधान का संरक्षक है । उसी संविधान के हवाले से मैं एक बात की ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ। संविधान की प्रस्तावना की शुरुआत में ही कहा गया है ' हम भारत के लोग ....' अर्थात जनता ही देश में सर्वोच्च है। इस लिहाज से जनता के समक्ष अपनी बात रखने में कोई बुराई नही है । भारत की न्यायपालिका के कामकाज पर दबे स्वरों में ही सही पर सवाल तो उठते रहे हैं । भाई भतीजावाद के आरोप भी समय समय पर उठते रहे है। ऐसा कई खबरों में आ चूका है कि देश के कुछ विशिष्ट गिने चुने परिवारों के सदस्य ही इस संस्था में चुने जाते हैं।ऐसे में अगर कुछ लोग साहस दिखाते हुए, खामियों को जनता के समक्ष रखते हैं तो उन पर किसी तरह से प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चाहिये। हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि उन साहसी लोगों ने अपनी बात पहले चिठ्ठी लिख कर रखी थी ताकि संस्थान की छवि बनी रहे जब उस पर किसी तरह का रुख न मिला तब जाकर ही उनको अपनी बात का खुलासा मिडिया के समक्ष रखना पड़ा। देखा जाय तो इस सारे प्रकरण से जनता के समक्ष , इस संस्थान की जबाबदेही बढ़ी ही है। प्रेमचंद ने पंचो को परमेश्वर की संज्ञा दी थी। वर्तमान में भी सभी पंचो को अपनी गरिमा बनाये रखने के लिए , किसी तरह की राजनीति से परे , निष्पक्षता से अपनी दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा के साथ करना चाहिए।
आशीष कुमार
उन्नाव उत्तर प्रदेश।
सोमवार, 8 जनवरी 2018
Food processing is key to improve income of farmers
आलू से सोना बनाने वाली मशीन कहाँ है ?
पिछले साल यह मशीन काफी चर्चा में रही थी , काश यह मशीन होती तो उत्तर प्रदेश के तमाम आलू उत्पादकों को अपनी फसल , लखनऊ के सड़को पर न डालनी पड़ती । इनके उत्पादन में कितना पानी, खाद, मेहनत लगी होगी, यह एक किसान ही समझ सकता है । इन दिनों आवारा जानवरों से अपनी फसल बचाना सबसे मेहनत का काम है । रात दिन एक करके अपनी फसल तैयार करना, उनको मिट्टी से बाहर निकलना पड़ता है , उसके बाद अगर कोई अपनी फसल , यूँ ही बर्बाद तो न करेगा ।
बहुत कष्ट होता है जब ऐसी घटना सुनने में आती है, आखिर इन लोगों की बात कौन समझेगा । किसानो की आय दोगुनी करने का लक्ष्य 2022 तक रखा गया है। यह कैसे पूरा होगा पता नही । कल आलू खरीदने गया तो 20 रूपये किलो मिली, जबकि किसानों को 5 रूपये की भी कीमत नही मिल पा रही है । ऐसी प्रणाली में उत्पादक के साथ साथ उपभोक्ता भी परेसान है । खाद्य प्रसंस्करण की काफी बात हो रही है इन दिनों।अगर इन आलू से चिप्स बना दिए जाये तो आलू की फसल का मूल्यवर्धन कई गुना बढ़ जायेगा। चिप्स लगभग 150 से 200 रूपये किलो बिकता है अगर इसका निर्यात किया जाये तो यह 1000 रूपये किलो तक पहुँच सकता है। निर्यात से विदेशी मुद्रा की आवक होगी , जिसका उपयोग सरकार, विवध सामाजिक योजनाओं में कर सकती है । इस तरह से ही आलू से सोना बन सकता है , न कि चुनावी सभा में भाषण देने से ।
आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।
शुक्रवार, 5 जनवरी 2018
Inequality
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
मंगलवार, 2 जनवरी 2018
Consumer Protection
मंगलवार, 26 दिसंबर 2017
Year 2017: An important year of Indian Economic History
रविवार, 24 दिसंबर 2017
Never became part of Crowd
भीड़ का हिस्सा न बने ।
प्रिय दोस्तों, काफी समय बाद एक आपके लिहाज से एक महत्वपूर्ण पोस्ट करने जा रहा हूँ । वैसे पोस्ट में अपनी ही बात है पर वह आपके भी काफी काम की है ।
टॉपिक से ही पता चल रहा होगा कि मसला क्या है । मैं शुरू से इस बात पर जोर देता रहा कि हमेशा अपने आप को विशिष्ट माने और इस बात का अपने भीतर attitude भी रखें । लीक से हट कर चले, सोचे और करें बस शर्त यह है कि आप में इतनी समझ होनी चाहिए कि आप कभी भी गलत नही करेंगे ।
आज के समय भेड़ चाल बढ़ती ही जा रही है । आप तमाम लोगों से मिले, बात करे और यहाँ तक कि आप उनसे प्रभावित भी हो जाये पर अनोखापन मिलना काफी दुर्लभ है वजह विचार में नवीनता व अनोखापन तभी आएगा जब आप नई नई किताबों को पढ़ने के साथ साथ चिंतन करने की आदत डाले। चिंतन व मनन की आदत ही आपको भेड़ चाल से रोक सकेगी । जीवन का उद्देश्य सिर्फ स्कूली शिक्षा में दक्षता और एक अदद सरकारी नौकरी नही हो सकता । हो सकता है कि आप हमेशा सफल होते रहे और टॉप करते रहे और आप ने सब हासिल कर लिया पर एक दिन , हाँ एक विशेष दिन आपको यह अहसास हो कि आप में और दूसरों में कोई फर्क नही है ।
बस इतना ही, बाकि टॉपिक असीम है और वक़्त कम । अंत रूसो की महान पंक्ति से करना चाहता हूँ कि व्यक्ति स्वत्रंत पैदा होता है परन्तु सर्वत्र जंजीरों में जकड़ा रहता है । आशय समझ रहे है न __
आशीष , उन्नाव
गुरुवार, 21 दिसंबर 2017
Books are so precious
दिल है कि मानता नही ।
इन दिनों , मैं हिंदी भाषी क्षेत्र में नही रहता हूँ, इसके बावजूद कोई साहित्य का विशेषांक 17 साल बाद आये तो कैसे भी करके उसको हासिल कर ही लेता हूँ । इंडिया टुडे के शुरू के कुछ विशेषांक , किसी कबाड़ी वाले के ठेले से खरीदे थे , शायद अभी भी पैतृक घर के किसी कोने में पड़े हो । उन दिनों जब मैं ट्यूशन पढ़ाया करता था तो कबाड़ी वाले के ठेले अक्सर मेरे लिए काफी रूचि का विषय होते थे कई बार उनके कुछ पुरानी खाली डायरी, नावेल, सरिता, कादम्बनी आदि के अंक किलो के हिसाब से खरीद लेता था । घर में कुछ रहा हो या न रहा हो जब से मैं बड़ा हुआ किताबों का भण्डार लगा रहा तमाम कॉमिक्स,लुगदी साहित्य और न जाने क्या क्या । अक्सर घरों में दीवाली, होली में साफ सफाई के दौरान पुरानी किताबें कबाड़ समझ कर बेच दी जाती है , आप उनसे बचना , क्योंकि किताबें आपके घर की हैसियत भले न बताये पर आपके वक्तित्व का पता जरूर बताती है ।
आशीष, उन्नाव ।
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