सोमवार, 19 जनवरी 2015

how to get success in first attempt

Topic: 53  कैसे पाये पहले प्रयास में सफलता



  •  किसी अच्छे ईमानदार , मेहनती  गुरु , दोस्त को तलाशे। 
  • आर्थिक तौर पर मजबूती के लिए विकल्प रखे 
  • वैकल्पिक विषय को चयन अपनी रूचि के अनुसार करे 
  • सभी जरूरी पुस्तकेBOOK LIST एक साथ खरीद ले। 
  • पहले अपने वैकल्पिक विषय पर अपनी पकड़ बनाये। 
  • नियमित नोट्स बनाने की आदत डाले 
  • सारा ध्यान , पूरी मेहनत केवल अपने लक्ष्य के लिए लगाये। 
  • अपनी कमियों को दूर करे। 
  • सफल लोगो के इंटरव्यू पढ़ कर खुद से सीखे। 
  • किताबो से दोस्ती करे। 
  • पुराने प्रश्न पत्रो को SOLVE करने की कोशिस  करे। 
  • अपने आप से  कम्पटीशन करे।  
  • जब कभी आप पढ़ाई से बोर हो तब यह सोचे कि  टॉपर आप से ज्यादा पढ़ रहा होगा। 

NITI AAYOG NOTES IN HINDI

सोमवार, 12 जनवरी 2015

IAS AND WRITING SKILL / आईएएस और लेखन क्षमता

१. आईएएस और लेखन क्षमता

दोस्तों , IAS EXAM भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है।  हर नवयुवक का सपना होता है कि वह आईएएस बन कर , समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करे।  अधिकांश  लोग को शुरुआत  में पता नही होता है कि  करना क्या है ? बस  फॉर्म भर दिया और कुछ मैगज़ीन पढ़ने लगे। बहुत मेहनत की तो PRE  भी निकल गया।  पर मैन्स  में अटक गए।
इस लिए इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए सबसे जरूरी है लेखन अभ्यास।  पिछले सालों  में आये हुए प्रश्नो को अपने आप लिखने की कोशिस  करिये।  अपनी खुद की क्षमता विकसित करिये।  ये एक ऐसी कला है जिसको अगर आप ने सीख  लिया तो आप औरों  से कही आगे निकल जायेगे।  बहुत ही कम लोग ऐसे होते है जो उत्तर लेखन अभ्यास करते है।
प्रारम्भ में आपको बहुत दिक्क़त आ सकती है।  आपके पास विचारो का आभाव लगेगा।  कई बार आपके वाक्य भी सही नही बनेगे।  आप जो लिखेंगे उस पढ़ कर आपको खुद लगेगा कि क्या बकवास लिखा है। पर धीरे धीरे आप में सुधार होने लगेगा।  और एक दिन आप के पास बहुत अच्छे शब्द होंगे , बहुत अच्छी शैली होगी।
शैली का मतलब , आपके विचारोे की क्लैरिटी से है।  मतलब यह कि आप जो सोचते है वही लिख पाते है या नही। इस लिए आज से आप लिखना शुरू करे।  कोशिस करे कि वर्तमान के BURNING ISSUE पर अपनी राय दे।  जो भी चीजे देश दुनिया में घट रही है उन पर आप के विचार है उनको लिखने की कोशिस करे।  मेरी हार्दिक शुभकामनाये आप के साथ है।


















शनिवार, 3 जनवरी 2015

PART: 3 सफेद सूट वाली लडकी ?

PART: 3

सफेद सूट वाली लडकी   ?


मुझे पता नही क्या हुआ और मैंने ऐसा DECISION क्यू लिया बस  उस SATURDAY  कॉलेज से लौट कर घर जाने का मन न हुआ।  दिल ने कहा  ये घुटन भरी LIFE अब मै नही जी सकती।  एक ऐसी जिंदगी जिसमे मेरी कोई सहमति नही बस मॉम , डैड की मर्जी के अनुसार चलना। मै क्या करना चाहती हूँ उन्होंने कभी जानना ही नही चाहा।  दिल ने कहा  बस  इस उबन भरी जिंदगी से कही  दूर चली जाऊ जहां मै अपनी शर्तो पर जी सकु , 
स्कूटी STAND पर ही लगी रहने दी।  ऑटो पकड़ कर RAILWAY STATION चली गयी। मुझे पता नही था जाना कहा है।  बस पहले प्लेटफॉर्म पर पहली जो गाड़ी खड़ी थी उसी में चढ़ ली।  COACH के बाहर मैंने ऐसे सीट देख ली थी जहाँ  आसानी से कुछ देर बैठा जा सकता था।  मेरे पास TICKET नही था और चालाकी क्या होती है जानती भी नही पर जब आप अपनी धुन में होते है रास्ते अपने आप सूझने लगते है।  

सीट पर जाकर देखा एक लड़का बैठा था। मुझे देखते ही उसने  मेरे लिए आधी  सीट छोड़ दी।    ज्यादा तो नही पर मुझे इतनी समझ तो  आ  ही गयी थी कि  चिपकू लड़को से कैसे बचा जाय।  सीट पर बैठने से पहले अपना APPLE PHONE कान में लगा कर झूठे ही  फुसफुसाने लगी। इससे दोहरा असर होता एक उसको मुझसे जान पहचान करने का अवसर न मिलता दूसरा मै जताना चाहती थी कि  वो मेरे फ़ोन का SILVER C  वाला एप्पल का लोगो देख ले और समझ ले कि मै  कोई मामूली लड़की नही हूँ। आप सोच रहे होंगे मै किस तरह की लड़की हूँ।    आप मुझे गलत मत समझईये प्लीज जो सच्चाई है वही  बता रही हूँ।  
ये मेरी उम्मीद से परे  थे मुझे सीट पर बैठे ५ मिनट हो गए थे अभी तक उस लड़के ने  एक  बार भी  मेरे चेहरे पर नजर नही डाली थी।  मै अब अपने फ़ोन पर गेम खेलने लगी थी।  मै  चाहती थी कि  मै  व्यस्त दिखू  ताकि वो मुझसे चिपके नही। वो  अच्छी कद और शक्ल  का था।  उसकी एथलेटिक बॉडी को देख कर ऐसा  लगा   कि  किसी आर्मी या पोलिस में जॉब करता है।  कॉलेज के लड़को जैसा नही था।  कोई फैशन नही जैसे किसी छोटे शहर का हो।  मैंने एक  दो बार जब भी चोरी से उस पर नजर डाली वो मेरी ड्रेस  को घूर रहा था। वैसे मेरी ड्रेस घूरने लायक थी आज कॉलेज में BEAUTY CONTEST  था।  उसके लिए मैंने  वाइट कलर का FROCK SUIT पहना था। मेरी ड्रेस इतनी अच्छी थी कि  मै  बता नही सकती।  आम तौर पर मै  JEANS TOP पहनना पसंद करती हूँ।  मै  कम्पटीशन में जीत गयी थी।  मन में इतनी उलझन थी कि DRESS  चेंज किये बगैर मै  अपनी उस जिंदगी से भाग ली।

ये  कैसी उलझन थी ? मै  चाहती थी कि  उसका ध्यान  मेरी तरफ भी  जाये  और  मै  उदासीनता भी दिखा रही थी। उसकी ख़ामोशी अखरने लगी थी।  ट्रैन के कोच की SIDE SEAT पर एक स्मार्ट लड़के एक साथ सीट शेयर कर रही थी और वो लड़का मेरी ड्रेस और बालो में ही उलझा रहे।  मै बात करने के लिए बेचैन हो रही थी।  पागल एक बार मेरे चेहरे पर भी नजर डाल  तो सही मेरी काली गहरी आखो में डुंब न जाये तो कहना।  न जाने कितने लड़को ने मुझसे बात करनी चाही पर मैंने उन्हें कभी भाव न दिया और आज जब मै तुम्हारे बारे में जानने के लिए बेचैन हो रही हूँ तब तू चुप बैठा है। मै  सच में बहुत ज्यादा उत्सुक हो रही थी आखिर ये शक्स है कौन ? 

शायद मै  ही पहल कर उस लड़के से बात शुरू  देती पर तभी  एक और घटना हो गयी।  मेरी  सीट के पास  एक   शख्स आ कर खड़ा हो गया। उसका चेहरा लोहे जैसा सख्त दिख रहा था। BLACK COAT और हाथ में ब्रीफ़केस लिए वो अजनबी किसी विलेन जैसा लग रहा था।  आते ही उसने मुझे सीट से उठा दिया।  मै अपना   बैग उठा कर आगे बढ़ आयी।  मेरे पास कोई विकल्प नही था।  रिजर्वेशन की बात छोड़ो  मेरी पास तो टिकट भी नही थी।  

मुझे  बहुत शर्मिदगी हो रही थी।  उस सहयात्री ने मेरे बारे में क्या सोचा होगा ? मै  कितनी घटिया लड़की हूँ  जो झूठ मूठ  ही उसकी सीट पर अपना अधिकार जता रही थी।  मै कोच में आगे बढ़ आई दरवाजे के पास अपना PHONE  चार्ज करने लगी।  TRAIN में बहुत भीड़ थी।  दिवाली की छुट्टी में सभी अपने अपने घर जा रहे थे।  और एक मै  थी जो अपना घर छोड़ कर जा रही थी।   मै  उस बारे में अधिक सोचना नही चाहती थी।  बस  मैंने जो निर्णय लिया था वो सही था मैंने अपने आप को समझाया।  

रात  के १२ बज रहे थे।  फ़ोन तो चार्ज हो गया था  खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगे थे पर मै  क्या करती मेरे पास उसी जगह खड़े रहने के सिवा  दूसरा विकल्प न था। गाड़ी रुक रही थी शायद कोई STATION आ रहा था।  तभी मैंने देखा मेरा सहयात्री , उस अजनबी साथ मेरी  ओर  चले आ रहे थे।  मै  घूम कर खड़ी हो गयी मै  उसकी नजरो का सामना कैसे करती  ?  

वो दोनों उतर  रहे थे। समझ नही आ रहा था कि  वो दोनों  परिचित है या अपरिचित।  दोनों में कोई बातचीत नही।  बस  अजनबी के पीछे मेरा सहयात्री चला जा रहा था।  मेरी SIXTH SENSE ने कहा  ' कुछ तो गड़बड़ है। '  मैंने अपना CHARGER  निकाल  कर बैग में रख लिया। मै  भी उस स्टेशन पर उतर रही थी।     
       
STORY OF A REAL HERO

( कहानी जारी है >>>>>>>) © आशीष कुमार

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गुरुवार, 1 जनवरी 2015

PART: 2 हरी सिगरेट वाला आदमी

PART: 2   हरी सिगरेट वाला आदमी


मै काफी उत्सुकता से उसकी ओर देख रहा था । वो कहाँ  से चढ़ा था पता नही और कहाँ  जा रहा था ये भी नही पता। उसका चेहरा इतना भावहीन था कुछ पता नही लग पा रहा था।  उसके कपड़ो में जरा भी सिलवटे नही थी। इतनी रात तरोताजा लग रहा था।  काश उसका सिगरेट वाला ऑफर स्वीकार ही कर लिया होता तो कम  से कम इतनी उत्सुकता न होती। खुद कोई पहल करने की हिम्मत न हो रही थी ऐसा लग रहा था कुछ भी पूछूँगा तो अटपटा जबाब ही देगा। 5 मिनट हो गये थे  उसकी सिगरेट खत्म न हुई।  उसने मेरी ओर सिगरेट बढ़ा दी। अब मना करने का कोई मतलब नही था वैसे भी इस अजीब सिगरेट से धुँआ भी नही निकल रहा था। अगर एक सिगरेट शेयर करने से बातचीत शुरू हो जाती है तो अच्छा है।  मैंने सिगरेट हाथ में ले ली।  आम सिगरेट से जरा लम्बी थी और उसका कलर अजीब लग रहा था।  आमतौर पर वाइट कलर की सिगरेट होती है अगर बहुत एडवांस शौकीन है तो ब्लैक पर यह बिलकुल अलग थी।  रात के ११ बजने को होंगे  डिब्बे में अब धीरे धीरे लोग सोने लगे थे।  मै सिगरेट को लेकर बहुत दुविधा में पड़ गया।  डिब्बे में इतनी रौशनी न थी कि उसका कलर साफ साफ दिख जाये पर इतना जरुर था वो सिगरेट तो नही थी भला वाइट और ब्लैक के अलावा कोई सिगरेट भी आती है। शायद उसने मेरी दुविधा भाप ली थी उसने एक बहुत बारीक़ मुस्कान के साथ वो अनोखी चीज वापस ले ली। मै भी मुस्कराने लगा मैंने कहा दरअसल मै सिगरेट पीता नही।  " किसने कहा ये सिगरेट है ? " उसने जबाब दिया।  यार मै कहाँ फस गया हूँ। इससे अच्छा वो लडकी ही थी कम कम शांति के साथ सफर का आनंद  तो ले पाता। ये न जाने कौन है इतना बेरुखा आदमी आज तक मुझे नही मिला था। उपर वाले ने मुझे भी अच्छी शक्लो सूरत दी है रोचक बाते भी करनी आती है ज्यादा देर नही लगती है अजनबियों से घुलने मिलने में पर इस व्यक्ति से कोई तुक ही नही बैठ रहा था।  जाने दो मेरा स्टेशन कल शाम को आ जायेगा तब किसी तरह चुपचाप बैठ कर काट लेता हूँ। पर वो सच में कोई असाधारण इन्सान था। जैसे ही मैंने शांत बैठने को सोचा उसने मुझसे कहा " मेरा स्टेशन आ रहा है तुम भी उतरोगे क्या ? ".   ये सच में बहुत अजीब इन्सान था।  स्टेशन उसका आया था और पूछ मुझसे रहा था यहाँ उतरोगे क्या ?
मैंने जबाब दिया " मै अनजानी  जगह क्यू उतरु ? "
" अपने स्टेशन पर तो हमेशा ही उतरते हो आज अजनबी स्टेशन पर उतरकर देखो।  अच्छा लगेगा।  " उसने कहा।
बात उसकी सोचने लायक थी।  ऐसा कौन करता है होगा जो अपने स्टेशन पर उतरने के बजाय  बीच में ही किसी अजनबी स्टेशन पर उतर  जाये वो भी बगैर कोई मतलब के। दिवाली का त्यौहार था बस  यही लग रहा था कि  कितनी जल्दी घर पहुंच जाऊ।  मुझे सोचते देख उसने फिर कहा
" इतना मत सोचो।  कभी कभी बगैर सोचे भी कुछ कर के देखो तुम उन रहस्यों को जान सकोगे जो हमेशा अनजाने रह जाते है। "
मै  सम्मोहित  सा हो गया था।  उसकी बातें  बहुत गहरी लगी।  मुझे उसके बारे में जानने की और उत्सुकता होने लगी। ट्रेन  ने हॉर्न दिया और उसकी गति कम होने लगी।  उसका स्टेशन आ रहा था।  रात  के बाहर १२ बज रहे थे।  बाहर बहुत गहरा अधेरा था। कोई छोटा सा स्टेशन लग रहा था।  राजस्थान या मध्य प्रदेश में गाड़ी थी।
वो अजनबी साथी अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ और साथ में मै  भी---- पता नही क्यू बस ऐसा लगा कि  मुझे भी इसके साथ जाना चाहिए।  गाड़ी रुक चुकी थी।  मै उस अजनबी के साथ दरवाजे पर आ गया।  अरे.…… वो वाइट सूट  वाली लड़की  अभी भी दरवाजे के  पास खड़ी अपना फ़ोन चार्ज कर रही थी।

( कहानी जारी है >>>>>>>) © आशीष कुमार












 

  

IAS MAINS 2014 GENERAL STUDY PAPER 1 QUESTION 1 SOLUTION


बुधवार, 31 दिसंबर 2014

PART: 1 वो कौन था ?

PART: 1 वो कौन था ?

बहुत मुश्किल से office से छुट्टी मिल पायी थी . Diwali का festival था . इसलिए ट्रेन में बहुत ज्यादा भीड़ थी . AC में टिकट कन्फर्म होने से रहा यही सोच कर sleeper में टिकट थी . अतिंम समय तक RAC ही बना रहा . समझ न आ रहा था कि सहयात्री कौन होगा और कैसा होगा .

समय से पहले ही स्टेशन पहुच गया था . बहुत साफ सुथरा station था . इन दिनों वाकई काफी साफ सफाई पर जोर दिया जाने लगा है . डिब्बे में जाकर अपनी सीट देखी . साइड सीट थी . ऐसा ही होता है जब आप की टिकट RAC में होती है . सामान के नाम पर एक bag था . कुछ दिनों के लिए ही घर जाना हो रहा था .
धीरे धीरे लोग आना शुरु हो गये . साथ ही वेंडर  , भिखारी  भी . ट्रेन चलने को हुई तब भी मै अपनी सीट पर अकेला था . अगले स्टेशन पर मेरी सहयात्री आयी . यह मेरी सोच से परे था . सोचा था कोई बन्दा होगा . सफर बातचीत  में कट जायेगा . पर यह कोई MBA की स्टुडेंट थी  और थोड़ी देर जता भी दिया . जब हो आयी तब उसके कान के फोन लगा था . मुझे सिल्वर एप्पल दिख था . कुछ देर बाद फ़ोन कान से हाथ में आ गया . अब शायद what app या फेसबुक पर वो बिजी थी . यह एक अवसर था मै  उसे अच्छे देख सकूँ।

किसी किसी के कपड़ो की पसंद कितनी अच्छी होती है। white color का एक लांग  सूट पहन रखा था।  मेकउप भी था पर बहुत सादा। एक छोटी सी बिंदी भी। बाल  बहुत सिल्की , काले, और लंबे।  सच कहूँ  को तो किसी के काले , सिल्की और अच्छे से सवाँरे बाल  मुझे जल्द ही मुग्ध कर देते है। मेरी नजर से वो लड़की बहुत खूबसूरत लग रही थी। मन हुआ कि  बातचीत शुरू  की जाय  पर ऐसा कुछ वजहों से रुक गया। एक तो वह बिजी थी दूसरा कोई भी मुझे तक ही अच्छा लगता है जब तक वो बोलता नही है। बोलने के बाद असाधारण लगने वाले बहुत कम ही है , यह धारणा  न जाने कब बन गयी।  खैर वो अपने में  बिजी रही और मै उसे अपनी किसी कहानी की नायिका समझ कर , उसके कपड़ो,  हाव भाव को देखने , समझने में व्यस्त।

रात के दस बज चुके थे। मौसम गुलाबी ठण्ड का था।  बगल  की सीट में कुछ सत्संगी लोग भजन जैसा कुछ गा  रहे थे।  दिक्क़त  तो सभी को हो रही थी पर कौन जा कर उनसे उलझे।  हम दोनों यात्री  सीट पर  , अपने पैर समेटे बैठे थे। समझ नही आ रहा था कि  रात  कैसे कटेगी ?
ठीक इस समय वो आया।  मेरी ही कद काठी और उम्र का था। सीट के पास  आते ही बोला " यह मेरी सीट है। " मैंने लड़की की ओर  हैरानी से देखा।  वो जरा सा विचलित नजर आई।  उसने request कि  उसे अगले स्टेशन पर उतरना है इसलिए कुछ देर उसे बैठे रहने दे पर हमारा नया यात्री बहुत सख्त मिजाज का लगा।  उसने  तुरंत उस लड़की को सीट से उठा दिया। मै  हैरानी से ये सोच रहा था कि  यह लड़की कितनी तेज है उसने बाहर लगी लिस्ट से देख लिया होगा कि  मेरी सीट कहाँ  तक खाली  है ?

मेरा नया सहयात्री बेहद चुस्त और smart लग रहा था।  उसने एक overcoat पहन रखा था।  उसके पास एक ब्रीफ़केस था।  उसने बैठकर मेरी और देखा। ऐसा लगा वो आँखों  से तोल  रहा था।  पर यह तो मेरी  आदत थी।  मै  भी उसकी आँखो  में आँखे  डाल कर उसको जानने की   कोशिस  की।लगभग २ मिनट तक यही चला। मुझे लगा आज मुझे कोई मिला है जो असाधारण है।  उसने चेहरे पर बगैर कोई भाव लाये  पूछा " पियोगे ".
मैंने भी उतनी ही उदासीनता से जबाब दिया " मै  पीता  नही। "  यह बगैर जाने कि  वह किस चीज के पीने  की बात कर रहा है। शायद  सिगरेट , या शराब की बात कर रहा होगा मैंने सोचा। पर हो सकता है वो tea या पानी पीने  के लिए पूछा हो। जाने दो वैसे भी ट्रैन में अजनबियों का  कुछ खाना - पीना नही चाहिए खासकर ऐसे stranger से जो मुँह  से ज्यादा आँखो  से बोलता हो।
कुछ देर उसने अपने कोट से एक cigarette निकाली।  अब हद हो गयी थी।  ट्रैन में सिगरेट-------. अब तो टोकना ही पड़ेगा।  उसने सिगरेट मुँह  लगाई और यह क्या यह अपने आप कैसे जल गयी ? कोई धुँआ  नही क्या यह इलेक्ट्रिक सिगरेट थी पता नही पर अब मुझे अपने सहयात्री से सतर्क रहना था।  क्यूकि उसकी हरकते बहुत अजीब लग रही थी।  

( कहानी  जारी है >>>>>>>)   © आशीष कुमार


सिविल सेवा की तैयारी के दौरान शिथिलता से कैसे बचे ?

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

क्या फर्क पड़ता है ?

क्या फर्क पड़ता है ?


कुछ बहुत सामान्य सी घटनाये बहुत आसामान्य बन जाती है कम से कम 10 साल पुरानी घटना होगी पर मन से मिटी नही ।


शहर से गावं बस से जा रहा था काफी भीड़ थी । एक जगह नवविवाहित युवती बस में चढ़ी । भीड़ काफी थी मेरी सीट के सामने ही खड़ी हो गयी । मेरी नजर उसको देखते हुए कुछ सोचने लगी उसने साड़ी इतने अच्छे से पहन रखी थी उसका जरा भी हिस्सा नजर नही आ रहा था । आमतौर पर इस तरह से साड़ी को लपेटना जिसमे जरा भी पेट नजर न आये ग्रामीण क्षेत्र में आश्चर्य की बात थी । मै मन ही मन उसकी इस बात की प्रशंसा कि कितनी अच्छी है जिसे अंग प्रदर्शन कि जरा भी इच्छा नही है । पता नही मै क्या सोचने लगा था कि यह भारतीय संस्क्रति की प्रतीक है आदि आदि । 5 मिनट बाद उसने अपने ब्लाउज से पान मसाला निकाल कर अपने मुहं में डाला उसके रंगे दंत शेष कहानी बयाँ कर गये ।

इस लोक सभा के चुनाव में ड्यूटी करने के लिए SDM के साथ एक मीटिंग थी । जब उनसे मिलने गया तो अपने ही विभाग के एक साथी भी मिल गये । जूनियर थे । विभाग में जल्द ही आये थे । मीटिंग खत्म होने के बाद तय हुआ कि कुछ चाय पानी हो जाय । ये साथी बहुत स्मार्ट लग रहे थे । एकहरा बदन लम्बे बेहद गोरे और जुबान इतनी मीठी जैसे शहद । पास की tea शॉप पर हम दोनों पहुचे । तब तक साथी ने मुझे गोल्ड फ्लैक की डिब्बी मेरी और बढ़ाते हुए सिगरेट ऑफर की । ऐसे पल मेरे लिए बहुत दुविधा भरे होते है ऐसा नही कि मैंने कभी सिगरेट नही पी पर असहज महसूस होता है मना करू तो वो असहज फील करेगा । "पीता नही हूँ पर साथ दे सकता हूँ " ऐसा बोलना ज्यादा सुरक्षित होता है मेरे लिए ।


 इस विषय में विस्तृत व्याख्या फिर कभी आज to the point बात यह कि क्या फर्क पड़ता है आप क्या है और कहाँ है, आप कितना सुंदर दिखते है ? यह शायद मेरी नादानी नासमझी है जो नशेबाजी को रूप या कुरूपता से जोड़ बैठा । पर मुझे अपने स्मार्ट जूनियर को सिगरेट का लती (15-16 per day) देख बहुत दुःख हुआ ।उसने शुरु क्यूँ कि इस प्रकरण पर फिर कभी पर आपकी इस बारे क्या राय है ?

©आशीष कुमार 

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