रविवार, 14 मई 2017

Importance of cyber security

जरूरी है साइबर सुरक्षा

कल विश्व के 100 से अधिक देशो में हुए साइबर हमले ने एक बार हमें अपनी तकनीकी उपलब्धियों पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया है। निश्चित ही तकनीक हमारा भविष्य है पर अगर वह गलत हाथों में पड़ जाये तो इसका खामियाजा सारे समाज को  भुगतना पड़ता है।

कल हुए साइबर हमले में पहले विविध कंप्यूटर पर फाइल्स को हैक कर लिया गया और उन्हें खोलने के एवज में बिटक्विने में रकम मांगी गयी। ब्रिटेन में कई अस्पतालों में कंप्यूटर काम करना बंद कर दिया और बड़ी संख्या में मरीजों को वापस भेजा रहा था। ब्रिटेन के ही एक अनाम व्यक्ति ने किल स्विच की मदद से इस हमले को बढ़ने से रोक दिया।

आज के दौर में जब समाज का बहुतायत हिस्सा , कंप्यूटर पर निर्भर है।  स्वास्थ्य सेवा ,व्यापार , मनोरंजन , परिवहन , सेना , प्रशासन , दूर संचार आदि कंप्यूटर और इंटरनेट के बगैर चल पाना संभव नही हैं । अतः सारे विश्व को इस मसले पर साथ आना चाहिए और सहयोग के आधार पर इसका न केवल निराकरण करना चाहिए , अपितु  भविष्य के लिए मजबूत रणनीति भी बनानी होगी।

आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

शनिवार, 13 मई 2017

Few lines for essay in hindi

पिछले दिनों किसी ने मुझसे निबंध के लिए नई लाइन्स लिखने का आग्रह किया था ।
एक छोटा सा वीडियो बनाया था । आज शेयर कर रहा हु , कैसा है बताना जरूर ।

Great laksmikant book

लक्ष्मीकांत की कालजयी पुस्तक का नया संस्करण

मैंने आज एक मित्र के पास लक्ष्मीकांत की संविधान वाली बुक का 2017 का संस्करण देखा।एक पल को चौक गया । बहुत मोटी हो गयी है । अंदर देखा तो बस कुछ नए पन्ने जोड़े है । टाटा मैक हिल की बुक अच्छी तो होती है पर पन्ने की बर्बादी बहुत होती है । आप खुद देखे , जो बात आधे पन्ने में खत्म की जा सकती है उसके लिए 4 पन्ने भर देंगे । बेचारा नया लड़का तो किताब का वजन देख कर ही टेंसन में आ जाये ।
अब दाम भी बहुत बढ़ गए है इसके 😊

शुक्रवार, 12 मई 2017

Genetically modified mustard


जीन संवर्धित सरसों 

हाल में ही पर्यावरण मंत्रालय से संबद्ध जेनेटिक इंजीनीररिंग अप्रूवल कमेटी ने जीन संवर्धित सरसों के व्यवसायिक उपयोग के लिए अनुमति दी है। इसके  साथ ही एक बार फिर इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि  जी एम फसलें हमारे लिए उपयोगी है या नहीं।  

भारत में अभी तक जीन संवर्धित  कपास को ही अपनाया गया है। बी टी ब्रिंजल यानि बैगन को अनुमति नहीं दी गयी थी। जीन संवर्धित फसलों की उपयोगिता, उनके उत्पादकता में वृद्धि तथा प्रतिरोधकता को लेकर होती है। यह सूखा से भी निपटने में सहायक होती है। देखा जाय तो जनसख्या में वृद्धि के साथ साथ खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर जीन संवर्धित फसल हमारे समय की मांग है। 

विश्व के कुछ देशो यथा अमेरिका  में जहां जीन फसलों को सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है तो कुछ देशो में इसका विरोध भी किया जाता रहा है। भारत जैसे देश जहां पर आज भी बहुतायत भाग कृषि पर निर्भर है और निम्न फसल उत्पादकता है, जीन परिवर्धित फसल एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।  

वस्तुतः कोई भी तकनीक अच्छी या बुरी हो सकती है। यह निर्भर करता है कि आप उसे कैसे प्रयोग करते है। जीन फसलों के विरोध के सबसे महत्वपूर्ण कारको में एक,  इसका विदेशी कम्पनी मोनसैंटो द्वारा इन फसलों के बीज पर एकाअधिपत्य को लेकर भी रहा है। भारत के कई किसानों की यह चिंता स्वाभाविक है कि भारत की कृषि , विदेशी कम्पनी के अधिपत्य में न चली  जाय। महाराष्ट में  कपास उत्पादकों द्वारा की गयी कुछ आत्महत्यों से उक्त शंका  निराधार नहीं कही जा सकती  है।  

ऐसे में सरकार द्वारा सावधानी पूर्वक कदम उठाये जाये चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मसले पर कहा कि जनता की सहमति सर्वोच्च होनी चाहिए। अभी इस जीन परिवर्धित सरसों को पर्यावरण मंत्री की सहमति के बाद कृषि मंत्रालय द्वारा इसकी फसल की उपयोगिता का एक पूर्व आकलन किये जाने के बाद ही यह आम जन के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक इसमें ४ से ५ वर्ष लग जायेगे तब तक भारत में इन फसलों के प्रति आम सहमति बना ली जाय तो अच्छा होगा। चुकि यह परिवर्धित सरसों भारत के सरकारी संस्थान की उपलब्धि है इसलिए कम से कम किसानो को  , इसके दाम को लेकर ज्यादा आशंकित नहीं होना चाहिए। 
आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 11 मई 2017

Sri Lanka and India relation

भारत और श्री लंका के संबंध : एक नया दौर 


भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की 14 वे वैशाख दिवस के अवसर पर श्रीलंका की गयी यात्रा कई मायनों बेहद अहम है। भारत श्रीलंका के सम्बन्ध शुरू से ही काफी मधुर रहे है। अलगावादी लिट्टे संगठन से निपटने में भारत ने बहुआयामी सहयोग की भूमिका अदा की थी। यद्पि पूर्व राष्टपति महेंद्र राजपक्षे के समय इन सम्बन्धो में गिरावट आ गयी थी। महेंद्र के कार्यकाल में श्रीलंका ने चीन से ज्यादा लगाव दिखाया था। हंबनटोटा बंदरगाह , कोलंबो पोर्ट सिटी जैसी प्रोजेक्ट में चीन ने भारी  निवेश किया था। इस समय चीन को लेकर श्रीलंका विशेष उत्साह नहीं दिखा रहा है क्यूकि चीन पर राष्टपति के चुनाव में महेंद्र राजपक्षे का सहयोग करने के आरोप लगे थे साथ ही चीन द्वारा निवेश को लेकर आक्रामक नीति को लेकर भी वहां की कंपनियों में असंतोष है।  

इस समय मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व में श्रीलंका ने भारत से सम्बन्धो को नई उचाई पर ले जाने के लिए विशेष रूचि दिखाई है। पिछले दिनों भारत द्वारा दश्रिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण के माध्यम से स्पेस डिप्लोमेसी की शुरुआत की गयी है। यह भारत द्वारा विदेशी नीति के अहम पहलू गुजराल डॉक्ट्रिन का एक सशक्त उदाहरण है जिसमे भारत को अपने पड़ोसी देशों से बगैर किसी अपेक्षा के सहयोग करने की बात कही गयी थी।
भारत को श्रीलंका से मछुवारों के प्रति एक पारदर्शी नीति लागू करवाने पर भी जोर देना होगा। अक्सर तमिल मछुवारे , श्रीलंका द्वारा पकड़ लिए / मार दिए जाते है। कचातीव द्वीप 1976 में भारत ने श्रीलंका को दे दिया था यद्पि उस करार में भारत के मछुवारो को द्वीप के पास तक मछली मारने का हक दिया गया था। आपसी सहयोग से इस संवेदनशील मुद्दे पर भी सहमति बनानी होगी।    


इस समय चीन द्वारा भारत के प्रति स्ट्रिंग ऑफ़  पर्ल की नीति , वन बेल्ट वन रोड की नीति के अपना रहा है। इसमें भारत के पड़ोसी देशो में चीन द्वारा भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है। चुकि भारत की आर्थिक स्थिति , चीन से कमतर है ऐसे में भारत को हार्ड पावर का जबाब सॉफ्ट पावर की नीति से देना होगा। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

बुधवार, 10 मई 2017

The integrated case management information system


एकीकृत केस प्रबंधन सुचना प्रणाली 

कल सर्वोच्च न्यायालय में डिजिटल इंडिया के एक भाग के तौर पर एकीकृत केस प्रबंधन सुचना प्रणाली की शुरुआत कई मायनों में काफी अहम है। यह सरल, पारदर्शी , त्वरित प्रकिया आम जन को बहुविध तरीके से न्याय सुलभ कराएगी। पेपरलेस तकनीक के अनुप्रयोग से भारत अपनी पर्यावरण प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गौरतलब है कि एक पेपर बनाने में 10 लीटर पानी खत्म होता है। 

 इस तकनीक के चलते , मुकदमे के नंबर और केस के आधार को उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल कर सकता है , बाकि फाइल डिज़िटल तरीके से स्वतः उच्च न्यायालय से ऊपर पहुंच जाएगी। इसमें मुकदमे की फ़ीस , लगने वाला अनुमानित समय का भी उल्लेख रहेगा। इसमें सम्बंधित सरकारी विभाग को स्वतः केस दाखिले के बारे में सुचना मिलने का भी प्रावधान किया गया है।   

भारत में लगभग 3 करोड़ो मुकदमे निचली अदालतों , 60 हजार मुकदमे सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। यह हमारे जीवंत लोकत्रंत के लिए अभिशाप है क्यूकि कहा जाता है कि न्याय में विलम्ब , न्याय की अवमानना है। इस तकनीक से आशा की जानी चाहिए कि भारत में न्याय प्रकिया में तेजी आएगी। 

आशीष कुमार , 
उन्नाव, उत्तर प्रदेश  

South korea president election


विश्व शांति की ओर एक कदम 

विश्व में पश्चिम  एशिया के बाद सबसे संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्र दक्षिण कोरिया से एक अच्छी खबर आयी है। मानव अधिकार  कार्यकर्ता , वकील 64  वर्षीय मून जे को राष्टपति चुना गया है। वह अपने चिर प्रतिद्वंदी देश उत्तर कोरिया से अच्छे सम्बन्ध रखने के हिमायती है।  मून जे के पिता 1950  में उत्तर कोरिया के साम्यवादी शासन से भाग कर दक्षिण कोरिया आ गए थे।  
मून जे , अमेरिका के उत्तर कोरिया ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना करते रहे है। वह दोनों देशों के साथ बातचीत के द्वारा मुद्दों को सुलझाए जाने के हिमायती रहे है।  मून की सनशाइन पालिसी इस बात का अच्छा उदाहरण है। उन्होंने यहाँ तक आशा कि है एक दिन दोनों देश एक हो जायेंगे। 
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच प्रारम्भ से ही तनावपूर्ण रिश्ते रहे है। अमेरिका ने हाल में ही टर्मिनल हाई अलटीटूड एरिया डिफेन्स ( थाड ) सिस्टम को दक्षिण कोरिया में तैनात किया था। मून ने इस पर समीक्षा करने के संकेत दिए है दरअसल अमेरिका ने अपने द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा के बदले धन की मांग भी की थी जिसे बाद में वापस ले लिया था। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच 1953 में एक सहयोग संधि की गयी थी जिसके तहत 29000 अमेरिका के  सैनिक इस देश में तैनात है।  
वस्तुतः मून जे की चुनाव में जीत से  अमेरिका को एक झटका लगा है । वैसे भी इन दिनों , बहुध्रुवीय विश्व में , शांति और स्थिरता के लिए सीमा व् अन्य विवाद आपसी बातचीत से सुलझाना ज्यादा बेहतर होगा। अमेरिका को इस तरह के विवादों में न उलझकर उसे अपना ध्यान अन्य गंभीर वैशिवक मुद्दों यथा जलवायु परिवर्तन , अकाल , गरीबी , भुखमरी , रिफ्यूजी समस्या आदि में देना चाहिए।

-आशीष कुमार, उन्नाव , उत्तर प्रदेश

(This article has been published in jansatta editorial as letter on dated 11.05.2017)

सोमवार, 8 मई 2017

Essay

फ्रान्स में मैक्रॉ की राष्ट्पति के तौर पर  जीत विश्व  के लिए कई मायनो में अहम है । उन्होंने ली पेन को हराया जो प्रबल राष्टवाद, संरक्षणवाद की हिमायती थी। इस तरह से यूरोप की एकता की जीत हुयी है । ब्रिटेन की eu से अलग होना, ट्रम्प की जीत के बाद से विश्व में एक अलग तरह का माहौल दिखने लगा था। eu में शरणार्थी का मुद्दा, रोजगार को लेकर सभी देशों में प्रबल राष्टवाद का उभार हुआ है जिसमें सभी अपनी सीमा विश्व के लिए बंद करने का दबाव बना रहे है । वस्तुतः यह वैस्वीकरण के पीछे हटने जैसा था ।
अगर ऐसा होता तो भारत जैसे विकाशसील देशों के लिए काफी मुश्किल भरा होता क्यूकि इन देशों में एक बड़ा बाजार बन्द हो जाता ।
आशा की जा सकती है कि अब विश्व में बदलाव आएगा यह देखना रोचक होगा कि जर्मनी में मर्केल की जीत होती है या नही ।

( यह लघु लेख ,जनसत्ता में १० मई २०१७ को पत्र के तौर पर प्रकाशित हुआ है।  ) 

शुक्रवार, 5 मई 2017

गोंडा

गोंडा

कल से यह नाम काफी चर्चा में है । स्वच्छता रैंकिंग में नीचे से टॉप किया है । मुझे प्रसंगवश राग दरबारी का रिक्शा वाला याद आ गया । श्री लाल शुक्ल जी के काल जयी उपन्यास राग दरबारी में शुरूआती पन्नों में ही इसका जिक्र है जिसमें एक रिक्शा चलाने वाले गोंडा वाले रिक्शे चालक को हिकारत भरी बातों से अपमानित करता है ।
सच कहु काफी साल पहले जब पहली राग दरबारी पढ़ी थी तो गोंडा के लिए वही छबि बनी रही ।
हमेशा सोचता रहा कि शुक्ल जी की गोंडा से क्या अदावत थी ? कल की रैंकिंग से यही समझ कि शुक्ल जी कितने ज्यादा दूरदर्शी थे । वैसे एक और बड़ी रोचक बात बताता हु पिछले कुछ वर्षो से नए लेखक , व्यंगकार एक हिंदी शब्द का प्रयोग बहुत करने लगे है "लौंडे" । काफी दमदार शब्द है पर यह भी शुक्ल जी ही देन मानी जा सकती है । राग दरबारी में इस शब्द के भरपूर, सार्थक प्रयोग किया गया है ।

गुरुवार, 4 मई 2017

Knowledge economy vs. Remittances economy

For essay

भारत एक नॉलेज पॉवर होने के साथ ही रेमिटेंस इकॉनमी है । भारत की अर्थव्यवस्था में विदेश से आने वाले धन की मात्रा विश्व में सर्वाधिक है । पश्चिम एशिया में तनाव, खनिज तेल के गिरते दाम के चलते , रिमिटेन्स में काफी गिरावट आई है । भारत को अमेरिका में H 1 visa isuue
के साथ साथ पश्चिम एशिया के देश में रहने वाले मजदूरों की प्रॉब्लम पर विशेष ध्यान देना होगा । इस विषय में यह उल्लेखनीय होगा कि मध्य एशिया के प्रवाशी भारतीय , अमेरिका में काम करने वाले लोगों से ज्ञान व् धन में कमजोर है , इसलिए भारत सरकार को inko prathmikta deni hogi.

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