शुक्रवार, 26 मई 2017

Kashmir Issue



जम्मू -कश्मीर : एक रिसता घाव 

जटिल से जटिल समस्याओं को संवाद से हल किया जा सकता है न कि युद्ध से - लेक वालेसा ( पोलैंड )

जम्मू एवं कश्मीर भारत में विलय के समय से ही एक दुविधा में रहा है। महाराजा हरी सिंह ने तब आजाद रहना चाहा जब तक उन्हें पाकिस्तान से हमले का खतरा न लगा। इस तरह दुविधा में भारत में सम्मलित होने का कदम , आने वाले समय में कई तरह की मुसीबत पैदा करता रहा। 

जम्मू एवं कश्मीर की जनता के लिए आजादी सबसे महत्वपूर्ण रही है। कई बार यह हर तरह की सीमा पार कर जाती रही है। लोकत्रंत में आपको अपनी आजादी के साथ कुछ हद तक समझौता करना ही पड़ता है विशेषकर जब जम्मू कश्मीर की भू-राजनीतिक स्थिति सभी मायनों में जुदा है। 

जनता आजादी चाहती है इसलिए पत्थर फेकती है , सेना कार्यवाही करती है क्यूकि जनता कानून अपने हाथ में ले लेती है। कहने का आशय यह कि  दोनों पक्ष ही अपने कार्यो को उचित ठहराते है। यह काफी लम्बे समय से चला आ रहा है और अगर स्थिति नहीं बदली है तो कही न कहीं शासन की पहुंच जनता तक न हो पायी। 

तर्क और कुतर्क से ऊपर उठ कर हमें अपनी पहुंच वहां की जनता के प्रति ज्यादा बनानी होगी। शिक्षा , रोजगार , आधारभूत ढांचे के विकास , तकनीक , स्वास्थ्य सेवाये की उपलब्धता बढ़ानी होगी। भारत जम्मू व् कश्मीर में किसी भी अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा धन ख़र्च करता है इसके बावजूद वहां पर चीजे बदल नहीं पा रही है तो हमे उन कारणों को खोजना होगा। कश्मीर की जनता को भी सोचना होगा कि आखिर क्या वजह है कि बुरहान वानी को हीरो बना दिया गया और उमर फैयाज को मार दिया गया। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि उमर फैयाज का रास्ता ही जम्मू कश्मीर के अस्तित्व की हिमायत करेगा न कि बुरहान वानी का। 

गुरुवार, 25 मई 2017

India's progress in infrastructure project


अवसंरचना के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम 


किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए मजबूत , विकसित अवसंरचना बेहद अहम भूमिका निभाती है। भारत के लिए ऐसा कहा जाता रहा है कि यहाँ पर प्राथमिक क्षेत्र के विकास के बाद सीधे तृतीयक क्षेत्र अर्थात सेवा क्षेत्र का विकास हुआ, इसके चलते यहां पर अवसंरचना का विकास अवरुद्ध रहा। 

आज असम में भारत के सबसे बड़े नदी पुल धोला -सदिया  का उद्घाटन , भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्धता का अच्छा उदाहरण है। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी लोहित पर 9. 20  किलोमीटर लम्बे पुल के निर्माण में लगभग 950  करोड़ का खर्च आया है। इस पुल के निर्माण से पूर्वी भारत में भारत की पहुंच तेज होगी।  असम से अरुणाचल प्रदेश में पहुंचने में 4 घंटे समय की बचत होगी। इस पुल से लगभग 60 टन वजनी सेना का टैंक गुजर सकता है। इससे भारत पूर्व में अपनी सेना की तेज पहुंच सुनिश्चित कर सकेगा। विदित हो कि अरुणाचल को लेकर चीन के साथ भारत के सम्बन्ध तनावपूर्ण रहे है।  

इससे पूर्व मार्च में जम्मू से श्रीनगर सम्पर्क मार्ग में भारत की सबसे लम्बी रोड सुरंग ,  9. 2  किलोमीटर लम्बे रोड टनल चेन्नी -नाशरी  का भी उद्द्घाटन हो चूका है। उक्त उद्धरण भारत की अवसंरचना निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दिखलाते है।   

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

मंगलवार, 23 मई 2017

India & Africa relations


भारत -अफ्रीका सम्बन्ध 


पिछले दिनों , गांधीनगर में अफ्रीकन डेवेलपमेंट बैंक की 52 वी ( भारत में पहली बार )बैठक , भारत - अफ्रीका के प्रगाढ़ होते सम्बन्धो का सजीव उदाहरण है। भारत के अफ्रीका के साथ सम्बन्ध बहुत लम्बे समय से मधुर रहे है। उपनिवेशवाद के दौर में भारत ने अपनी आजादी मिलते ही अफ्रीकी देशो की जल्द आजादी की हिमायत की थी।  
समकालीन समय में अफ्रीका , समस्त विश्व के लिए निवेश के लिए सबसे मुफीद जगह मानी जाती रही है क्यूकि इस महाद्वीप का पिछड़ापन काफी सम्भावनाये रखता है। भारत एक उभरती अर्थव्यस्था के तौर पर अफ्रीका को एक बाजार के तौर पर भी देखता है। भारत से सस्ती दवा का निर्यात , कई अफ़्रीकी देशो के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज के काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 

पेरिस जलवायु संधि के एक रूप में भारत ने अंतर्राष्टीय सौर गढ़बंधन ( गुरुग्राम में मुख्यालय ) का नेतृत्व कर रहा है। जलयायु परिवर्तन से लड़ने के लिहाज से अहम मानी जा रही इस संधि की सफलता में अफ्रीका महाद्वीप काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कई अफ्रीकी देश भारत से इस संधि पर समझौता कर चुके है।  
भारत ने इस बैठक में एशिया - अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर के विकास के लिए प्रस्ताव रखा है। जापान इस परियोजना में अहम भूमिका निभाने की बात कर चूका है। चीन के महत्वपूर्ण परियोजना 'वन बेल्ट वन रोड ' से अलग हटकर भारत ने इस नए आर्थिक गलियारे की घोषणा करके चीन की विकास नीति के समक्ष अपनी विशिष्ट कूटनीति का मजबूती से प्रदर्शन किया है। यद्पि चीन अफ्रीका में सबसे बड़ा निवेशक बना हुआ तथापि उसकी शोषक आर्थिक नीति की हमेशा से आलोचना होती रही है, समझौता और विकास के नाम पर दी गयी सहायता में छिपी शोषक आर्थिक नीति , अब अफ्रीकन देशों के लिए पुरानी बात हो चुकी है। समकालीन समय में भारत की सस्ती , खुली और उपयोगी आर्थिक व तकनीकी सहायता की चाह लगभग हर अफ्रीकी देश को है। भारत को इस महाद्वीप में छिपी सम्भावनाओ को पहचान कर इस दिशा में बहुआयामी कदम उठाने चाहिए। 


आशीष कुमार, 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

सोमवार, 22 मई 2017

First rain


पहली वर्षा   


बारिश शुरू से ही लेखन के लिए पसदींदा विषय रहा है। मैंने भी इस पर लगभग हर वर्ष कुछ न कुछ लिखता रहा हूँ। दरअसल पहली बारिश बहुत अनुभूतिक विषय होता है। तपते दिनों से परेशान मन में स्वतः उल्लास उमड़ता है। 

इस शहर में रहते 5 वर्ष हो गए। यह मेरा आखिरी साल है शायद अब इस शहर में न रहूं। पर जाते जाते एक यादगार बारिश से मुखातिब होकर जाऊंगा। दरअसल कल ही काफी मौसम खराब हो गया था। काफी दिनों से कही निकलना न हुआ था। मन सुबह से कह रहा था कि अब कहीं घूम कर आओ वरन यह ऊबन तुम्हारी उत्पादकता को प्रभावित करेगी। दोपहर में एक मित्र का फ़ोन आया कि शाम एक मित्र की शादी है अगर खाली  हो तो चले। मन की मुराद अक्सर पूरी होती रही है यह संयोग कोई विशेष न लगा। 

शाम को पार्टी में  जाते बहुत मौसम खराब हो गया। अभी मानसून आने में समय है फिर भी खूब आंधी , तूफान , धूल। लगा कि जाना कैंसिल कर दू पर दोस्त ने जोर दिया तो निकल लिया। बारिश तो कहने को हुयी पर बिजली बहुत कड़की। रात ११ बजे लौटते वक़्त सब कुछ साफ हो चूका था। 



पिछले कुछ दिनों से मन में एक विचार आ रहा था कि कितना वक़्त हुआ ओले न देखे बारिश में। आज अचानक शाम को मौसम सुहाना हुआ और खूब तेज आंधी आने लगी। पहले पानी की बड़ी बड़ी बुँदे फिर तेज बारिश। अचानक ओले भी गिरने लगे और खूब जमकर गिरे। मै अभी तक सोच रहा हूँ कि क्या वाकई ओले गिरे है ? ओले गिरे और उन्हें उठाकर चखा न जाये तो फिर आप बारिश का मतलब नहीं समझते है। बारिश यानि बचपन में जाना (जगजीत सिंह भी कह चुके है वो कागज की कश्ती और  बारिश का पानी ) . 

बाहर खड़े थे तो एक मित्र ने चलो चाय और दाल बड़ा ( गुजराती ) खा कर आते है। यह तो सबसे अच्छी पेशकश थी। बारिश में चाय -पकोड़े किसी को पसंद नहीं आते। साथी ने कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध और व्यस्त दुकान ले गए। दूर से ही दिख गया कि सारा शहर ही दाल बड़ा खाने के लिए टूट पड़ा है. 2 दर्जन आदमी की लाइन लग चुकी थी। साथी की बड़ी गाड़ी , काफी देर पार्किंग खोजते रहे। जैसे तैसे सड़क पर ही पार्क कर , पैदल दुकान गए। तय हुआ कि अब दाल बड़ा तो मिलने से रहे , बड़ा पाव खा कर काम  चलाया जाय। 
इस चार रास्ते की चाय सबसे प्रसिद्ध है ऐसा दोस्त ने बोला। मन और जिव्हा विचार करने लगी ऐसा क्या है चाय फेमस है। चाय में भीड़ थी पर यह दुकान काफी व्यवस्थित थी।दरअसल चाय  पुदीने वाली थी। 15 रूपये में यह निश्चित ही उत्तम कही जा सकती है। अभी भी जुबान पर टेस्ट बरकरार है। मुझे अब इस बात पर ज्यादा विचार नहीं करना कि ऐसा कैसे होता है कि जो सोचते है वो हो जाता है , मसलन बारिश और ओले वाली बात। शुक्र है मैंने पाओ कोहलो की अलकेमिस्ट पढ़ रखी है। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।    

रविवार, 21 मई 2017

India Iran relations


भारत - ईरान सम्बन्ध 

ईरान के हाल में हुए चुनाव में हसन रोहानी का दोबारा चुना जाना , भारत तथा विश्व के लिए कई मायनों में अहम है। ईरान में हसन रोहानी ने चुनाव के लिए खुलेपन , नुक्लिएर ऊर्जा , उदारवाद को मुद्दा बनाया था। उन्होंने ने अपने विपक्षी इब्राहिम रईसी को अच्छे अंतर् से हराया है। इब्राहिम रईसी कटटरवाद के समर्थक है , वह पश्चिमी देशो से ज्यादा गहरे सम्बन्धो के हिमायती नहीं रहे है।  

हसन रूहानी की जीत को फ्रासं में मैक्रॉन , दक्षिण कोरिया में मून जे की जीत के क्रम में देखा जा सकता है और यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि विश्व में अभी भी खुलेपन को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। 

भारत के लिए महत्व 

ईरान भारत के लिए न केवल ऊर्जा सुरक्षा  के लिए महत्वपूर्ण है वरन यह मध्य एशिया के लिए वैकल्पिक रास्ता भी मुहया करा रहा है। भारत ने २००२ में चाबहार पोर्ट के विकास के लिए समझौता किया था। यह पोर्ट लगभग तैयार हो चूका है। इसके माध्यम से भारत मध्य एशिया के साथ गहरे सम्बन्ध विकसित कर सकता है। चीन ने इसके पास ही पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है। एक प्रकार से यह भारत के लिए इस मायने में भी अहम है।  
 ईरान उत्तर -दक्षिण संपर्क मार्ग का एक अहम सदस्य है। इस मार्ग के माध्यम से भारत ईरान होते हुए रूस तक एक बहु आयामी मार्ग (रेल ,सड़क, समुद्री रास्ता ) बनाने की भी योजना है। अभी स्वेज नहर वाला मार्ग , भारत अपना रहा है। इस नए मार्ग के विकास से भारत मध्य एशिया , पूर्वी यूरोप तक ज्यादा तेज , वहनीय तरीके से पहुंच सकेगा। 

आशीष कुमार 
उन्नाव ,उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 20 मई 2017

Indian tourism sector

भारत में पर्यटन के सुअवसर 

पिछले दिनों विश्व आर्थिक मंच (world economic fourm ) द्वारा वैश्विक पर्यटन के परिदृश्य पर एक रिपोर्ट  में भारत ने १२ अंको की शानदार छलांग लगाकर ४० वे स्थान पर अपना कब्जा जमाया । स्पेन के इस सूची में पहला स्थान है। यह भारत के लिए काफी सुखद है। भारत का पर्यटन का क्षेत्र दिनोदिन सुधरता जा रहा है। भारत ने सम्भावनाओ से भरपूर इस क्षेत्र के विकास के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रारम्भ की है। आगमन पर वीसा  , इ वीसा जैसी सुविधाओं के चलते भारत में आने वाले विदेशिओ की संख्या दिनोदिन बढ़ी है। 

भारत में न केवल अपने समृद्ध अतीत, सांस्कृतिक परम्परा की सशक्त विरासत है वरन यहां पर प्राकतिक सौंदर्य भरपूर है। यहां पर झील , झरने , शांत समुद्री तट , खूबसूरत पहाड़ी शहर , नदी घटियां , विविध जीव जंतु , प्राकतिक वनस्पति हमेशा से सैलानियों को आकर्षित करती रही है। 

इस सूची में जापान का चौथा स्थान तथा चीन का १३ वा स्थान है। जोकि भारत को इस क्षेत्र को ओर बेहतर बनाने के लिए चुनौती पेश करता है। भारत में विविध पयर्टन स्थल पर मूलभूत सुविधाओं , सुरक्षा का आभाव इस क्षेत्र में अभी भी चुनौती बने हुए है। कोई ऐसा साल नहीं गुजरता होगा जब किसी विदेशी महिला से रेप , लूट की खबर न आती हो। निश्चित ही इस तरह की खबरे भारत के पर्यटन क्षेत्र के लिए हानिकारक होती है।  

 भारत विश्व में घूमने के लिहाज से सबसे सस्ते देशों में एक माना जाता रहा है। मेडिकल टूरिज्म (medical tourism ) का बढ़ता चलन भारत के लिए अपार सम्भावनाये लेकर आया है। केरल , गुजरात , महाराष्ट्र में सस्ती चिकित्सा सेवा विश्व के सभी भागों से लोगों को खींच रही है।  भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में नैसगिक सौंदर्य विद्यमान है। इस क्षेत्र  में पर्यटन  अपार सम्भावनाये है। विलेज टूरिज़्म (village tourism ) के नए चलन से इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराये जा सकते है। 

भारत काफी समय से अतुल्य भारत के नाम से एक योजना चला रहा है। इस योजना को काफी सफलता भी मिली है। दरअसल पर्टयन की मजबूती किसी भी राष्ट की मजबूती है। इससे बहुत से लोगो को रोजगार मिलता है, साथ ही यह विदेशी मुद्रा भंडार का भी एक बहुत अच्छा विकल्प है। इस क्षेत्र में अपार सम्भावनाये है जिनका अभी दोहन किया जाना बाकी है।

आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

शुक्रवार, 19 मई 2017

किसानों पर आयकर

किसानो की आत्महत्या मुख्यता छोटे एवं सीमांत किसानो से जुडी रही है , जबकि बड़े किसान और अमीर होते जा रहे है, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में बड़े बड़े निवेशक जो कृषि से सम्बंधित नहीं है, निवेश कर काफी लाभ कम रहे है | अगर कृषि में कराधान आता है तो उसमे इस तरह के किसान ही कर के दायरे मैं आयेगे, न की छोटे किसान|  इसके अलावा कई लोग अपने कर बचने के लिए कृषि से आय दिखाते है, जिनपर नकेल कसी जा सकती है |
किसानो को कृषि से कम लाभ होना या हानि होने का कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य का कम होना नहीं है बल्कि उसतक उर्वरक, बीज एवं अन्य कृषि सब्सिडी का न पहुच पाना है, यदि ये सब्सिडी उनतक बिना किसी लीकेज के पहुचेगी  तो उनकी आय बढ़ जाएगी |
किसानो की आय दुगनी करने एवं कृषि उत्पादन बढ़ने के लिए सिंचाई, बीमा, शोध आदि में भारी निवेश की आवश्यकता है, जो कराधन के दायरे को बढ़ा कर की जा सकती है| कर नहीं लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि अधिक कर संग्रहण एवं उनका उचित उपयौग से स्तिथिया बदलेगी, जिनकी झलक वर्त्तमान सरकार के कई आधार लिंक्ड योजनावों से दिख रही है|

कुंदन कुमार, अहमदाबाद ।
(जनसत्ता में प्रकाशित )

गुरुवार, 18 मई 2017

Energy Security


ऊर्जा सुरक्षा 

पिछले दिनों भारत ने अपनी तकनीक के आधार पर 10 नुक्लिएर रिएक्टर 700 mw के विकसित करने का निर्णय लिया। भारत की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के मद्देनजर यह फैसला कई मायनों में बेहद अहम है। इस तकनीक के विकास से भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेगा वरन वह आगामी समय में इस तकनीक का निर्यातक बन सकता है।  
हमारा भविष्य स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर निर्भर करता है। भारत ने जलवायु संकट पर की गयी पेरिस संधि का हस्ताक्षर कर्ता है। इस संधि के स्वैछिक अनुपालन हेतु भारत  ऊर्जा के परम्परागत साधनों से अपनी निर्भरता धीरे धीरे कम कर रहा है। भारत ने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 175 गीगावाट के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।  
परमाणु ऊर्जा जोकि यूरेनियम , थोरियम पर आधृत होती है , अपने सीमित संसाधनों के चलते इसे भी परम्परागत ऊर्जा में ही रखा जाता है यद्पि यह स्वच्छ ऊर्जा मानी जाती है। अभी तक भारत रूस , फ्रासं , जापान और अमेरिका की इस क्षेत्र में कार्यरत कंपनी के भरोसे रहता था। समय के मांग के अनुरूप भारत ने इस क्षेत्र में दक्षता हासिल करने की ठानी है। यह भारत के बढ़ते विश्वास का भी परिचायक है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 17 मई 2017

India's Relation with Palestine



भारत -फिलीस्तीन सम्बन्ध 

भारत विश्व में अपने लोकत्रांतिक मूल्यों के चलते सभी तरह के देशों से शांतिपूर्ण सम्बन्धो का हिमायती रहा है। विश्व के विविध देशों के मध्य चल रहे तनाव को खत्म करने में भारत का एक शानदार अतीत रहा है। इसी कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आगामी जुलाई में  इजरायल यात्रा के पूर्व फिलिस्तीन के राष्ट्पति महमूद अब्बास को अपने यहाँ आंमत्रित कर, दोनों देशों के प्रति अपनी शांतिपूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाया है। इसे दोनों देशों के प्रति भारत की बैलेंसिंग एक्ट की नीति कही जा रही है।  
इजरायल -फिलिस्तीन के संबध काफी तनाव पूर्ण रहे है। भारत एक और जहाँ इजरायल से रक्षा संबधो को बढ़ावा देता रहा है वही दूसरी ओर इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर मानवाधिकार हनन की खुल कर आलोचना करता रहा है। किसी भी राष्ट की सम्प्रभुता की हिमायत करना, विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना भारत की विदेश नीति का अभिन्न अंग रहा है।
पश्चिम एशिया विश्व के लिए हमेशा संवेदनशील मुद्दा रहा है। यहां पर धार्मिक , नृजातीय पहचान को लेकर लम्बे समय से विवाद चलते रहे है। भारत ने पश्चिम एशिया के प्रति 'लिंक वेस्ट ' की नई नीति घोषणा की है, जिसमें पश्चिम एशिया के देशो  से अपने संबंधों को और  उचाईयों तक ले जाने के लिए , भारत प्रतिबद्ध है। महमूद अब्बास की यात्रा को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

सोमवार, 15 मई 2017

china's belt and road initiative


चीन की बेल्ट और रोड पहल : भारत के लिए मायने 


चीन ने 2013 में विश्व के कई देशो से गुजरने वाली बेल्ट और रोड पहल की घोषणा की थी। चीन की आक्रामक निवेश नीति के चलते प्रारंम्भ में सभी देश इस नीति  को लेकर सशंकित थे। चीन में इस योजना से जुड़ा पहला फोरम अभी हाल में समाप्त हुआ है। 130 देशों के प्रतिभाग तथा कम से कम 65 देश इस  900  बिलियन डॉलर की पहल से सीधे जुड़ना , इस योजना की लोकप्रियता  को दर्शाता है। 
भारत इस पहल का शुरू से विरोध कर रहा है क्युकि इस विशाल परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण कहा जाने वाला हिस्सा चीन -पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जोकि पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है , भारत की स्वायत्तता में दखल देने जैसा है। 
चीन इस समय एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जो उसे इस तरह की विशाल परियोजना तैयार करने को बाध्य कर रही है। उसकी अर्थव्यस्था में अब फैलाव के लिए जगह नहीं बची है। इस बेल्ट और रोड पहल से वह अपने लिए बाजार विस्तृत तो करेगा ही साथ ही इससे जुड़े देशो को विविध ऋण देकर उनकी नीतियों में भी दखल देगा। भारत को इस से जुड़े गंभीर पहलू को अपने पड़ोसी देशो यथा नेपाल , भूटान , बांग्लादेश , म्यांमार तथा श्री लंका से साझा करना चाहिए। आज के समय सारे विश्व में सस्ते , घटिया चीनी मॉल से बाजार भरे पड़े है। रोड और बेल्ट पहल के पुरे होने पर , अन्य देशो के घरेलू उद्योग के लिए बेहद सीमित अवसर रह जायेंगे। इन पहलुओं को देखते , भारत का विरोध उचित  व सार्थक कहा जा सकता है।  

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  













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