सोमवार, 14 मई 2018

story of a UPSC ASPIRANT


कहानी : upsc आशिक की 


एक शाम उनके पास पहुंचा तो अजीब मनस्थिति में उन्हें पाया। वो  एक गिटार लिए थे और कहने लगे कि अब बस इसी का सहारा है। iit से थे और एक बहुत अच्छी जगह जॉब कर रहे थे। 2 बार से उनका आईएएस pre नहीं निकल रहा था। एक pre एग्जाम के दौरान ही मुलाकात हुयी थी। 

उस दिन उनके  सरकारी आवास पर मुझे काफी चीजे अलग लगी। वो कहने लगे कि अब शाम को यही बजाता हूँ और ये जो तुलसी का पेड़ है यह मेरा संगीत सुनता है और प्रसन्न होता है। मैंने पूछा कैसे ? वो बोले अपने पत्तों से यह मुझे जबाब देता है। मुझे उस वक़्त यही लगा कि एक होनहार बंदा , upsc के मकड़जाल में उलझ कर अपनी चेतना खो बैठा है। कुछ पल को मुझे लगा कि वो मजाक कर रहा है पर वो पूरा गंभीर था। 

उसके साथी भी तैयारी करते थे और बगल के फ्लैट में रहते थे। उनसे भी बात हुयी तो वो बोले कुछ नहीं पर मुझे true caller पर उस दोस्त का नंबर सर्च करने को  कहा। true कॉलर ने जो नाम बताया वो देख कर मुझसे कुछ कहा न गया। उस पर उनका नाम upsc आशिक दिखा रहा था। पता नहीं यह किसकी कलाकारी थी जो दोस्त का नाम इस तरह से सेव कर रखा था। आपको पता ही होगा true कॉलर कैसे काम करता है। मैं बगैर कुछ  बोले वहाँ से चला आया।  

फुटनोट :- वो मित्र अगले प्रयास में भारतीय सिविल सेवा में सफल हुए और इन दिनों एक बेहद महत्वपूर्ण सिविल सेवा में है। पिछले दिनों एक काम  के चलते उनसे सम्पर्क हुआ तो मुझे यह प्रसंग याद आ गया।   


कॉपी राइट - आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 12 मई 2018

Success

सफलता

सफलता के लिए सबसे जरूरी होता है खुद पर विश्वास होना। असफ़लता , सफलता का एक अभिन्न अंग है। असफल होने पर आपको खुद ही खड़ा होना पड़ेगा। ऐसे समय मे अपने पर यकीन बनाये रखना बड़ा काम आता है। हर सफल व्यक्ति को हमेशा से यह अहसास होता है कि वो जरूर सफल होगा।

अगर विषम हालात हो तो भी आप सफल हो सकते है हाँ थोड़ा टाइम जरूर लग सकता है। निरन्तर लगे रहे । खरगोशों को आगे जाने दीजिए। अपने पिछड़ने का अफसोस न करिये। धर्य व अथक मेहनत का कोई विकल्प नही है।

© आशीष - सिविल सेवा 17 में चयनित

मंगलवार, 8 मई 2018

UPSC FINAL RESULT 2017



NAME- ASHEESH KUMAR

CSE 2017 RANK -817

UPSC ROLL NO. 0344965

ATTEMPT- 9TH (2009-2018) (THANKS GOD, IT WAS MY LAST ATTEMPT)

MAINS WRITTEN- 6 TIMES 

INTERVIEW- 3RD TIME (2011, 15)

INTERVIEW BOARD- DR. MANOJ SONI (11.04.2018)

OPTIONAL SUBJECT- HINDI LIT.

MEDIUM-HINDI

Pre & Mains Exam Center- AHMEDABAD


SOME RELATED INSTITUTES - BHAGIDARI BHAVAN, LUCKNOW
SPIPA AHMEDABAD
GUJRAT BHAVAN, DELHI



WORKING EXPERIENCE - 7 YEARS IN EXCISE & CUSTOMS AS INSPECTOR, 1 YEAR AS AUDITOR IN DEFENCE ACCOUNT, 1 YEAR AS TEACHER IN KGBV

10TH - 53%

12TH-54%

B.Sc.- 55%

OTHER - GREAT INTEREST IN WRITING, PUBLISHED MANY ARTICLE/LETTER'S IN VARIOUS HINDI MAGAZINES LIKE KURUKSHETRA , YOU MAY KNOW/LISTEN ABOUT "IAS KI PREPARATION HINDI ME" BLOG, FACE PAGE, TELEGRAM CHANNEL I AM BEHIND THAT. GOOGLE IT FOR MORE DETAILS.

CONTRACT- ASHUNAO@GMAIL.COM

 इस सफलता के साथ साथ अपने तमाम साथी मित्रों के लिए दुःख है । मैं आपके दुःख की तरह से पिछले 9 सालों से गुजर रहा था। अंत में मैं अपने सभी मित्रों को हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। मेरी सफलता में अनगिनत लोगों का सहयोग है । 

         
आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।।


सोमवार, 30 अप्रैल 2018

Motivational

सेकंड डिवीजन वाले भी आईएएस बना करते है

अपने पिछली पोस्ट देखी और मेरे मार्क्स भी देखे। एक बड़ी मोटिवेशनल बात बताता हूँ  मैंने B.Ed. भी किया है । 2007/08 में उत्तर प्रदेश में प्राइमरी टीचर की तमाम जगह निकली, सिलेक्शन मेरिट से होना था। सेलेक्शन तो दूर कही कॉउन्सिलिंग के लिए भी नही बुलाया गया। तमाम साथी सेलेक्ट हो गए टीचर में और हम अकेले , बेरोजगार, तमाम व्यंग्य बाणों के बीच।

आज पलट कर देखता हूं तो लगता है जो होता है अच्छे के लिये ही होता है।

#justformotivation

रविवार, 29 अप्रैल 2018

Motivational : A post from Forum IAS


प्रिय दोस्तों, फोरम आईएएस सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।सिविल सेवा में सफल मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं।मैं इस मंच पर बेहद कम सक्रिय रहा हूँ पर लगातार यहां पर आता रहा हूँ । मैंने अपने पिछले कमेंट में बगैर हिचक अपने अटेम्प्ट, रैंक , अपना परसेंटेज सब खुल कर लिखा और हो सकता है यह कमेंट आप काफी जगह देख चुके हो तो मुझे माफ़ करना । मैं सच मे अधिक से अधिक लोगों तक यह कहानी पहुँचाना चाहता हूं ।

सिविल सेवा कातिल सरीखी होती है , जो इसमे असफल होते है , वो ही जानते है कि कितना घातक होता है उम्मीदों का टूटना। मेरी कहानी उन सभी के लिए हमेशा साहस देती रहेगी जो लगातार असफल होकर भी जूझते रहते है।

खैर बात चीत होती रहेगी। एक और बात , सिविल सेवा में चयन से पहले ही मैं खूब जगह प्रकाशित हो चुका हूं जनसत्ता, बिजिनेस स्टैंडर्ड , योजना, कुरुक्षेत्र , आउटलुक, इंडिया टुडे आदि जगहों पर। कुरुक्षेत्र के बजट अंक मार्च 2018 में समावेशी शिक्षा वाला लेख , फिर से पढ़ियेगा। इसलिए नाम के लिए यह सब कतई न है।

अंत मे, असफल मित्रों से मैं आपके साथ हूँ हर तरह से। सफल की जय जय तो हर कोई करता है पर मैं आपकी करता हूँ, आखिर आप कुछ स्टेज तो पार कर ही रहे है, आप भी खास है। संघर्ष करते रहिए , रिजल्ट आने के 30 मिनट बाद ही आपके वर्षो की थकान मिट जाएगी। आपके लिए 2 शब्द , इन्हें गुनगुनाना 

कैसे कह दू कि थक गया हूँ मैं 
न जाने कितनों का हौसला हूँ मैं ।।

मेरे और तमाम लेख ऑनलाइन उपलब्ध है , खोजिये शायद आपके काम के हो ।

आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

तहलका



तहलका के 31 दिसंबर 2017 के अंक में विजय माथुर जी के लेख में समाज के विकृत पहलू पर बारीकी से विचार किया गया है। रेगर ने उदयपुर के राजसमंद में  जो 6 दिसंबर को बर्बर  कृत्य किया है , वह लोकत्रांत्रिक , धर्म निरपेक्ष भारत पर एक धब्बा सरीखा है। कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है। अफ़राजुल , एक मुस्लिम होने से पहले इंसान था जो अपनी आजीविका के लिए , अपने घर से दूर पड़ा था। समाज में सही संदेश जाय , इसलिए जरूरी है कि इस बर्बर घटना में पूरा न्याय दिया जाय ताकि इस तरह की घटनाये भविष्य में न हो।

आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश 

Digital World



डिजिटल दुनिया के खतरे 


आउटलुक का 23 अप्रैल का अंक डिजिटल दुनिया के स्याह पहलुओं पर बारीकी से प्रकाश डालता है। फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका प्रकरण के बाद आम आदमी की सोच और निणर्य लेने की क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे है। प्रसंगवश मुझे रामधारी सिंह दिनकर की कुरुक्षेत्र में लिखी दो पंक्तियाँ याद आती है -
सावधान ! मनुष्य यदि विज्ञानं है तलवार 
तो फेंक दे ,तज मोह , स्मृति के पार। 

फेसबुक जोकि पहले सोशल साइट थी आज डेटा से सबसे बड़े भंडार के तौर पर एक परमाणु बम सरीखी लगने लगी है। हरवीर जी ने  सम्पादकीय में बिलकुल सही कहा है -अगली पीढ़ी की तकनीक से सामने हम निहथे है। विश्व में अभी बड़ी तादाद में आबादी शिक्षा से वंचित है , डिजिटल शिक्षा उनके लिए दूर की कौड़ी है। ऐसे में डिजिटल शिक्षा से वंचित लोग आने वाले समय से सबसे कमजोर , सुभेद्य होंगे। इसलिए जब समावेशी विकाश की जब बात की जाय तो इसे केवल आवास , टायलेट , बैंक खाते तक न रखा वरन इसमें डिजिटल दुनिया के सभी पहलुओं पर ज्ञान को भी शामिल किया जाना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 



















गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

That air hostess


वो अशिष्ट एयर होस्ट्रेस 


13 अप्रैल 2018 की दिल्ली के एयरपोर्ट - टर्मिनल 3 से जेट एयरवेज की अहमदाबाद को जाने वाली रात 11 बजे की फ्लाइट।


यह लगातार  तीसरी रात थी  मैं चाह कर भी सो नहीं पा रहा था। पिछले 72 घंटो में 1 घंटे भी सो नहीं पाया था। फ्लाइट कुछ देर से आयी थी। पहली बार जेट एयरवेज की फ्लाइट ली थी इसलिए हर चीज पर गौर कर रहा था। विमान में इंडिगो की तुलना में सीट में ज्यादा स्पेस था। मेरे पड़ोसी दो बुजुर्ग पति पत्नी थे और मैं यह ऑब्ज़र्व कर चूका था कि वो पहली बार उड़ने जा रहे है। मैं बुरी तरह से थका , निढाल था। हमेशा की तरह मेरी विंडो सीट थी . मै चुपचाप आँखों को बंद कर बैठा था। विचारों की अनगिनत , अनवरत कड़ियाँ। इन विचारों के चलते ही अनिंद्रा का शिकार हो चूका हूँ। 

तभी इमरजेंसी लैंडिंग से जुडी डेमो देने की बारी आ गयी। न जाने क्यू मेरी नजर पीछे की तरफ चली गयी। मै बस देखना चाह रहा था कि एयर होस्ट्रेस कहां खड़ी होकर डेमो देंगी। मैंने नोटिस किया उनमें से एक के मुहँ के पास सफेद पाउडर सा कुछ लगा है। ऐसा लगा कि वो कुछ खा रही थी और हड़बड़ाते हुए जल्दी से डेमो देने के लिए आ गयी हो।  


इंडिगो की फ्लाइट में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता , जिसको जो खाना हो खरीद कर खाओ। इस फ्लाइट में हर किसी के लिए लाइट नाश्ता था। वो एयर होस्ट्रेस वेज , नॉन वेज का ऑप्शन पूछती हुयी नाश्ता देती हुयी आ रही थी। मुझे लगा कि अपने बगल की बुजुर्ग यात्रियों की मदद करनी चाहिए। मेरी सीट के पास आकर भी वही पूछा - वेज / नॉन वेज। मैंने कहा -आप इन्हें शाकाहारी / मांसाहारी में पूछिए, ऐसे समझ नहीं पायेगें।  वो बोली क्यों समझ नहीं पाएंगे। अब मैं उससे बहस नहीं करना चाहता था। वो नाश्ता देकर आगे बढ़ गयी। मैंने नोटिस किया कि उसने टी के लिए मिल्क , सूगर के पैकेट, स्टिक  और कप तो दिए है पर गर्म  पानी तो दिया ही नहीं। मैंने उसे टोका तो बोली - पानी गर्म है कही किसी के ऊपर गिर न जाये और वो जल जाये इसीलिए नहीं दे रही हूँ।उसके जबाब में हिकारत सी नजर आयी। ऐसा लगा कि कह रही हो कहाँ - कहाँ से आ जाते है। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उन बुजुर्ग दंपति के  साथ हूँ। मैंने कहा -नहीं।   


गलती होना अलग बात है पर किसी को  बेवकूफ बनाना या समझना मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। ये क्या लॉजिक हुआ कि पानी गर्म है कोई जल सकता है। सीधे सीधे बता सकती थी कि गर्म पानी खत्म हो गया। मैंने नास्ता करते हुए देखा कि वो बुजुर्ग सैंडविच में वो सफेद मिल्क पावडर डाल कर खाने की कोशिस कर रहे थे। मैंने उन्हें रोका और बताया कि यह ड्राई मिल्क है टी बनाने के लिए। इससे पहले कि वो पूछते कि टी कैसे बनानी है , मैंने उन्हें पूरी बात समझायी कि गर्म पानी नहीं मिला इसलिए चाय भूल जाओ। 

सच कहूं तो मेरा चाय पीने का जरा भी मन न था क्यूँकि चाय के बाद मुझे नींद और भी न आती मुझे रह रह कर  उन बुजुर्गों के साथ जो बदतमीजी की गयी थी पर गुस्सा आ रहा था। मैं उस अशिष्ट एयर होस्ट्रेस से बहस करने के मूड में नहीं था दरअसल थकान से मेरा बदन टूट रहा था। हाँ , मन में एक ख्याल जरूर आ रहा था कि इसको सबक जरूर सिखाना है। कुछ देर बाद कचरा लेने सीट के पास आयी। मैंने विन्रमता से उसका नाम पूछा - पल्लवी - उसने कहा।  

इसके बाद बारी थी अपने  सहयात्रियों से जानकारी जुटाने की। बातों ही बातों में पाता किया। वो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से थे। सिंचाई विभाग से हाल में ही सेवानिवृत हुए थे। गांधीनगर , गुजरात में उनका बेटा रहता था जो इंडियन नेवी में काम करता है। उनका नाम ओमप्रकाश ( शायद ,क्यूँकि मैंने बस अपने मन में नोट किया था ) था। फ्लाइट लैंड करने के समय एक बार फिर मैंने पुरे ध्यान से सुना - पल्लवी। आज की फ्लाइट के केबिन क्रू मेंबर के तौर पर यही नाम दोहराया गया। 

कहानी पूरी सच्ची है पर अपने कोई निष्कर्ष निकला या नहीं। क्या आप बता सकते है कि पल्लवी के मुँह पर मैंने जो  सफेद सा पावडर देखा था वो क्या था ? अरे , एक बात तो बताना भूल ही गया मैंने अपनी प्लेट में सुगर और मिल्क पाउडर खोले बगैर ही छोड़ दिया था। 


माननीय प्रधानमंत्री जी ने उड़ान ( उड़े देश का आम नागरिक ) योजना के तहत हवाई यात्रा के किराये काफी सस्ते कर दिए हैं। यह भी सच है कि  हवाई चप्पल पहनने वाला भी आज उड़ सकता है पर विमान के अंदर जो आम आदमी के साथ हिकारत , बदतमीजी होती है उसका क्या। कभी डॉक्टर को पीटा जाता है , मच्छर की शिकायत करने पर उसे उतार दिया जाता है। 

प्रिय दोस्तों ,  उन बुजुर्ग के साथ जो हुआ , उसकी पुनरावृति दोबारा न हो। इसलिए इस पोस्ट को जमकर शेयर करे ताकि जेट एयरवेज अपने केबिन क्रू मेंबर की अभिवृति में बदलाव लाने पर मजबूर हो। मेरा जेट एयरवेज को यही सुझाव है कि वह अपने क्रू मेंबर को ड्राई मिल्क पाउडर एक्स्ट्रा दिया करे ताकि वो यात्रियों से चोरी करने और चुरा कर खाने के लिए बाध्य न हो। 

धन्यवाद। 


आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

























शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

OUTLOOK- PRIZE WINING LETTER

ख़ुदकुशी क्यों इतनी  26 मार्च 2018 अंक 

ख़ुदकुशी के संदर्भ में हरिमोहन मिश्र जी का लेख , समकालीन समय की विसंगतियों को पारदर्शी चित्रण करता है। मानव जीवन अनमोल है और इस अनमोल जीवन को यूँ ही हार कर गवां देना उचित नहीं कहा जा सकता है। हमने समय से साथ खूब प्रगति की है पर अपने मानवीय मूल्यों में पिछड़ते जा रहे है। चाहे गांव हो या शहर , हर इंसान तेजी से भाग रहा है। उपभोक्तावादी दौर में नूतन उत्पादों की अमिट लालसा , तमाम पैसे की ख्वाहिश , अपनी हैसियत से बड़े सपने  आदि कुछ बिंदु है , जिनके चलते मानव सकून खोया है और तनाव पाया है। तनाव इतना चरम सीमा पर कि उचित -अनुचित का ख्याल रखे बगैर खुद के साथ साथ अपने परिवार को मार देना , जैसे रिवाज सा बनता जा रहा है। एक और महत्वपूर्ण बात , ऐसा नहीं है कि आत्महत्या करने वाले लोग पढ़े लिखे व समझदार लोग नहीं होते। पिछले साल बिहार के एक जिलाधिकारी ने दिल्ली जाकर आत्महत्या को चुना। उन्होंने मरने से पहले पुरे होशोहवास में नोट और वीडियो भी बनाया था। किसान से लेकर जिलाधिकारी तक आखिर आत्महत्या के चलन तेज होने की वजह क्या है ? दरअसल समाज में समरसता ,लगाव , आत्मीयता , भ्रातृत्व, सेवाभाव , सामाजिक उत्तरदायित्व , परोपकार  जैसे गुणों का तेजी से क्षरण होने लगा है। एकाकीपन , अलगाव , अजनबीपन , पहचान का संकट , उपेक्षा , झूठी शान आदि के चलते समाज में आत्महत्या की दर तेजी से  बढ़ी है। विकल्प यही हो सकता है कि हम भले चाँद , मंगल पर बस्ती बनाने का सपना भले रखे पर समाज में मुलभूत मानवीय गुणों को भी साथ लेकर चलने का प्रयास करें।  


आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

BUDGET 2017-18

ऐतिहासिक व अभूतपूर्व बजट 

योजना का बजट अंक हमेशा से अपने सारगर्भित , विश्लेषणात्मक व रोचक लेखों के लिए हमेशा से लोकप्रिय  रहा है। पहले ही लेख में वस्तु एवं सेवाकर प्रणाली के आधार स्तम्भ माने जाने वाले  हसमुख अढ़िया जी ने  सम्पूर्ण बजट को साररुप में प्रस्तुत कर दिया गया है। उनका ठीक ही कहना है कि क्रेन्द्रिय बजट २०१८-19 का आधारभूत दर्शन "गरीबी हटाओ , किसान बचाओ " है। भारत देश कृषि प्रधान देश है जहां की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। तमाम उपायों के बावजूद किसानों की हालत जस की तस बनी हुयी है , इसके चलते ही इस वर्ष के बजट में किसानों के लिए बने स्वामीनाथन आयोग (2007 ) की सिफारिशों के अनुरूप उनकी लागत मूल्य का डेढ़ गुना दाम दिए जाने का प्रावधान किया गया है। किसानों की फसल का बीमा , सिंचाई के प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना , ई नाम , परम्परागत कृषि विकास योजना आदि पर फोकस किया गया है। आलू , प्याज और टमाटर के लिए  'ऑपरेशन ग्रीन'( 500 करोड़ रूपये ) की शुरुआत की जाएगी। खाद्य प्रसंस्करण के लिए 'सम्पदा योजना' की लागू की गयी है। इससे किसान अपनी फसल का मूल्य संवर्धन कर ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकेगें। देश की सभी मंडी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है। 22000 कृषि हाटो को कृषि बाजार में अपग्रेड किया जायेगा। इससे बिचौलियों का खत्मा होगा और किसान अपनी फसल सीधे बेच सकेंगे। इन कदमों से निश्चित ही माननीय प्रधानमंत्री जी का किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा किया जा सकेगा। 
बजट के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण बिंदु स्वास्थ्य पर के रेड्डी जी ने अपने लेख में बखूबी विश्लेषित किया है। आयुष्मान भारत , विश्व के सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है जिससे भारत के 50 करोड़ आबादी लाभ पायेगी। समन्वित परिवहन पर अरविन्द जी का लेख परिवहन पर कुछ नवाचारी कदमों पर जोर देता है। निश्चित ही भारत में जलीय परिवहन के क्षेत्र में असीम सम्भावनाये छुपी हैं। ऋतु सारस्वत जी ने अपने लेख में महिलाओं के लिए इस बजट में महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया है। पिछले कुछ सालों में हमने महिलाओं पर क्रेन्द्रित योजनाओं यथा बेटी पढ़ाओ -बेटी बचाओ , सुकन्या समृद्धि योजना , मुद्रा योजना , स्टैंड अप योजना में बहुत अच्छी प्रगति की है। समग्रतः यह बजट ऐतिहासिक व अभूतपूर्व है और इस पर क्रेन्द्रित योजना का विशेषांक एक संग्रहणीय अंक बन पड़ा है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  



















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